शिव बाबा की साकार मुरली से महत्वपूर्ण पॉइंट्स (Important points from Sakar Murli of Shiv baba)
याद में शान्ति में रहते हैं। दुनिया को भी भूल जाते हैं। परन्तु सवाल है - *सारे दिन में क्या करते?* वह तो हुई सुबह में घण्टा आधा घण्टा याद की यात्रा, जिससे आत्मा पवित्र बनती है, आयु बढ़ती है। परन्तु *सारे दिन में कितना याद करते हैं? कितना स्वदर्शन चक्रधारी बनते हैं?* ऐसे नहीं, बाबा तो सब कुछ जानते हैं। अपने दिल से पूछना है कि *हमने सारा दिन क्या किया?* समझेंगे हम तो शिवबाबा के ही साथ थे। शिवबाबा को ही याद करते थे परन्तु *सचमुच याद में थे?* बिल्कुल साइलेन्स में रहने से फिर यह दुनिया भी भूल जाती है।
अपने को ठगना नहीं है कि हम तो शिवबाबा की याद में हैं। देह के सब धर्म भूल जाने चाहिए। हमको शिवबाबा कशिश कर सारी दुनिया भुलाते हैं। बाप समझाते हैं *अपने को आत्मा समझ बाप को याद करना है*। बाप तो कशिश करते हैं। सभी आत्मायें बाप को याद करें और कोई याद न आये। परन्तु *सचमुच याद आती है वा नहीं, वह तो खुद पोतामेल निकालें। कितना हम बाबा को याद करते हैं?* देखना है - *हम कितना समय दैवी गुणों में रहे? कितना समय बाप की सेवा में रहे? फिर औरों को भी याद दिलानी है।* आत्मा पर जो कट चढ़ी हुई है वह याद के बिगर तो उतरेगी नहीं। भक्ति में अनेकों को याद करते हो। *यहाँ याद करना है एक को*। *श्री लक्ष्मी वा नारायण बनना, विश्व का मालिक बनना कोई मासी का घर नहीं है*। बाप कहते हैं अपने को मिया-मिट्ठू समझ *ठगी नहीं करना*। अपने से पूछो - *सारे दिन में हमने अपने को आत्मा समझ बाप को कितना याद किया, जो कट निकले? कितनों को आपसमान बनाया?* यह पोतामेल हर एक को अपना रखना है। *जो करेगा वह पायेगा, नहीं करेगा तो पछतायेगा*। देखना है *हमारा कैरेक्टर सारे दिन में कैसा रहा? कोई को दु:ख तो नहीं दिया या फालतू बात तो नहीं की?* चार्ट रखने से कैरेक्टर सुधरेगा। याद है तलवार की धार*। घड़ी-घड़ी कहते हैं याद भूल जाती है। तलवार क्यों कहते हैं? क्योंकि इनसे पाप कटेंगे, तुम पावन बनेंगे। यह बहुत नाज़ुक है। जैसे वो लोग आग से पार करते हैं, तुम्हारा फिर बुद्धियोग चला जाता है बाप के पास। ऐसे नहीं, हम तो भाषण कर सकते हैं, चार्ट रखने की हमको क्या दरकार है! यह भूल नहीं करनी है। महारथियों को भी चार्ट रखना है। 84 का चक्र याद करना बड़ी बात नहीं है। बाकी भारी माल है याद की यात्रा, जिसमें फेल भी बहुत होते हैं। तुम्हारी युद्ध भी इसमें है। नॉलेज में युद्ध की बात नहीं। वह तो *सोर्स ऑफ इनकम* है। जितनी जास्ती भक्ति की होगी, शिवबाबा राज़ी हुआ होगा तो अभी भी ज्ञान जल्दी उठायेंगे। *महारथियों की बुद्धि में प्वाइंट्स होंगी। लिखते रहें तो अच्छी-अच्छी प्वाइंट्स अलग करते रहें। प्वाइंट्स का वज़न करें। परन्तु ऐसी मेहनत कोई करता ही नहीं। मुश्किल कोई नोट्स रखते होंगे और अच्छी प्वाइंट्स निकाल अलग रखते होंगे। बाबा हमेशा कहते हैं भाषण करने से पहले लिखो, फिर जांच करो। ऐसी मेहनत करते नहीं।* सब प्वाइंट्स किसको याद नहीं रहती हैं। बैरिस्टर लोग भी प्वाइंट्स नोट करते हैं, डायरी में। तुमको तो बहुत जरूरी है। *टॉपिक्स लिखकर फिर पढ़ना चाहिए, करेक्शन करना चाहिए। इतनी मेहनत नहीं करेंगे तो उछल नहीं खायेंगे। तुम्हारा बुद्धियोग और-और तरफ भटकता रहेगा । भल धन्धाधोरी आदि करो परन्तु *डायरी तो सदा पॉकेट में होनी चाहिए नोट करने लिए।* सबसे जास्ती तुमको नोट करना चाहिए। अलबेले रहेंगे, अपने को मिया मिट्ठू समझेंगे तो माया भी कोई कम नहीं। घूँसा लगाती रहेगी। लक्ष्मी-नारायण बनना मासी का घर थोड़े ही है। बड़ी राजधानी स्थापन हो रही है, कोटों में कोई निकलेंगे। बाप की याद में आकर बैठते हैं तो *प्रेम के आंसू* भी आते हैं। भक्ति मार्ग में भी आंसू आते हैं। परन्तु भक्ति मार्ग अलग है, ज्ञान मार्ग अलग है। यह है सच्चे बाप के साथ सच्चा प्रेम। यहाँ की बात ही न्यारी है।बाप कहते हैं *याद का जौहर नहीं है इसलिए वाणी में भी कशिश नहीं होती है। बहुत थोड़े बच्चे समझते हैं कि यह अक्षर किसके हैं। बाबा तो *बच्चे-बच्चे* ही कहेंगे। आया ही हूँ बच्चों को वर्सा देने। बाबा सब सुना देते हैं। बच्चों से काम मुझे लेना है ना। यह बहुत वन्डरफुल *चटपटी* नॉलेज है। यह नॉलेज *अटपटी और खटपटी* भी है। *वैकुण्ठ का मालिक बनने के लिए नॉलेज भी ऐसी चाहिए ना। हरेक को बाप को याद करना है, दैवीगुण धारण करने हैं। मुख से कभी उल्टे-सुल्टे अक्षर नहीं बोलने हैं। प्यार से काम निकालना है।
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