ज्ञान मुरली से कुछ प्रश्न उत्तर - जरूर सभी ब्रह्माकुमारी व कुमार इसे पढ़े और दुसरो को SHARE करे। Question Answers from Shiv Baba's Gyan murli. Every BrahmaKumari and Kumar should read this. Do SHARE.
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ओम् शान्ति बापदादा मधुबन
1. प्रश्न - मीठे बच्चे - अब वापिस जाना है इसलिए क्या करो? उत्तर:- पुरानी देह और पुरानी दुनिया से उपराम बनो, अपनी बैटरी चार्ज करने के लिए योग की भट्ठी में बैठो' 2. प्रश्नः- योग में बाप की पूरी करेन्ट किन बच्चों को मिलती है?* उत्तर:- जिनकी बुद्धि बाहर में नहीं भटकती। अपने को आत्मा समझ बाप की याद में रहते हैं, उन्हें बाप की करेन्ट मिलती है। बाबा बच्चों को सकाश देते हैं। बच्चों का काम है बाप की करेन्ट को कैच करना क्योंकि उस करेन्ट से ही आत्मा रूपी बैटरी चार्ज होगी, ताकत आयेगी, विकर्म विनाश होंगे। इसे ही योग की अग्नि कहा जाता है, इसका अभ्यास करना है। ओम् शान्ति। 3. प्रश्न - भगवानुवाच। अब बच्चों को क्या याद पड़ता है? उत्तर - घर भी याद पड़ता है। 4. प्रश्न - बाप किसकी बात सुनायेंगे?* उत्तर - बाप तो घर की और राजधानी की बात ही सुनायेंगे और बच्चे भी इन बातों को समझते हैं कि हम आत्माओं का घर कौन-सा है? आत्मा क्या है? 5. प्रश्न - यह भी अच्छी रीति समझ गये हैं, क्या? उत्तर - कि बाबा हमको आकरके पढ़ाते हैं। 6. प्रश्न - बाप कहाँ से आते हैं? उत्तर - परमधाम से। ऐसे नहीं कहेंगे पावन दुनिया बनाने कोई पावन दुनिया से आते हैं। नहीं। 7. प्रश्न - बाप क्या कहते हैं? उत्तर - मैं सतयुगी पावन दुनिया से नहीं आया हूँ, मैं तो घर से आया हूँ, जिस घर से तुम बच्चे आये हो पार्ट बजाने। 8. प्रश्न - मैं भी ड्रामा प्लैन अनुसार हर 5 हजार वर्ष के बाद क्या करता हूँ? उत्तर - घर से आता हूँ। मैं रहता ही घर में, परमधाम में हूँ। 9. प्रश्न - बाप समझाते भी ऐसे सहज हैं, कैसे? उत्तर - जैसे बाप शहर से आये हों। कहते हैं जैसे तुम आये हो पार्ट बजाने, हम भी वहाँ से आये हैं पार्ट बजाने, ड्रामा प्लैन अनुसार। मैं नॉलेजफुल हूँ। सब बातों को मैं जानता हूँ - ड्रामा प्लैन अनुसार। 10. प्रश्न - कल्प-कल्प मैं यही बात तुमको सुनाता हूँ, कब?* उत्तर - जब तुम काम चिता पर चढ़कर काले, भस्म हो जाते हो। आग में मनुष्य काले हो जाते हैं ना। तुम भी सांवरे हो गये हो। सतोप्रधान वाली ताकत सारी निकल गई है। 11. प्रश्न - आत्मा की बैटरी ऐसी न हो, कैसी? उत्तर - जो एकदम डिस्चार्ज हो जाये और मोटर खड़ी हो जाए। 12. प्रश्न - इस समय सभी के डिस्चार्ज होने का समय आ गया है, तब बाप क्या कहते हैं?* उत्तर - ड्रामा अनुसार मैं आता हूँ जो आदि सनातन देवी-देवता धर्म के हैं उन्हों की बैटरी चार्ज होती है। 13. प्रश्न:-तुम्हारी बैटरी अभी चार्ज होनी है जरूर। ऐसे भी नहीं, कैसे? उत्तर:- सिर्फ सुबह को यहाँ आकर बैठने से बैटरी चार्ज हो सकेगी। नहीं, *बैटरी चार्ज तो उठते, बैठते, चलते भी हो सकती है - याद में रहने से। 14. प्रश्न - तुम पहले कौन-सी आत्मा थी? उत्तर - पवित्र आत्मा सतोप्रधान थी। सच्चा सोना, सच्चा जेवर थी। अभी तमोप्रधान हो गये हैं। 15. प्रश्न - अब फिर आत्मा सतोप्रधान बनती है तो शरीर भी प्योर मिलेगा। यह बड़ी सहज प्योर होने लिए भट्ठी है, इसको क्या कह सकते हैं? उत्तर - योग की भट्ठी भी कह सकते हैं। 16. प्रश्न:- सोने को भी भट्ठी में डालते हैं। यह कौन-सी भट्टी है? उत्तर:- सोने को शुद्ध बनाने की भट्ठी, बाप को याद करने की भट्ठी। प्योर तो जरूर बनना है। 17. प्रश्न:- याद नहीं करेंगे तो इतना प्योर नहीं होंगे। फिर हिसाब-किताब चुक्तू करना ही है, क्यों? उत्तर:- क्योंकि कयामत का समय है। सबको घर जाना है। बुद्धि में घर की याद बैठी हुई है। और किसकी भी बुद्धि में नहीं होगा। 18. प्रश्न:- वह ब्रह्म को क्या कह देते हैं? उत्तर:- ईश्वर कह देते हैं, उसको घर नहीं समझते। 19. प्रश्न:- तुम इस बेहद ड्रामा के एक्टर हो, ड्रामा को तो तुम अच्छी रीति जान गये हो। बाप ने क्या समझाया है? उत्तर:- अभी 84 का चक्र पूरा होता है, अब घर जाना है। 20. प्रश्न:- आत्मा अब पतित है, इसलिए क्या करती है? उत्तर:- घर जाने के लिए पुकारती है - बाबा आकर पावन बनाओ। नहीं तो हम जा नहीं सकते हैं। 21. प्रश्न:- बाप ही बैठ यह बातें बच्चों को समझाते हैं। यह भी बच्चे समझ गये हैं, तब उनको क्या कहते हैं? उत्तर:- पिता-पिता कहते हैं। टीचर भी कहते हैं। मनुष्य तो कृष्ण को टीचर समझते हैं। 22. प्रश्न:- तुम बच्चे समझते हो कृष्ण तो खुद पढ़ता था, सतयुग में। कृष्ण कभी क्या नहीं बना है? उत्तर:- किसका टीचर बना नहीं है। ऐसे भी नहीं - पढ़कर फिर टीचर बना। 23. प्रश्न:- कृष्ण की बचपन से लेकर बड़ेपन तक की कहानी कौन जानता है? उत्तर:- तुम बच्चे ही जानते हो। 24. प्रश्न:- मनुष्य तो कृष्ण को भगवान् समझकर क्या कह देते हैं? उत्तर:- जिधर देखो कृष्ण ही कृष्ण है। राम के भक्त कहेंगे जिधर देखो राम ही राम है। धागा (सूत) ही मूँझ गया है। 25. प्रश्न:- तुम अब जानते हो भारत का प्राचीन योग और ज्ञान कैसा है? उत्तर:- मशहूर है। मनुष्य कुछ नहीं जानते।
26. प्रश्न:-ज्ञान सागर एक बाप है वह तुम बच्चों को ज्ञान देते हैं। तो तुमको भी क्या कहेंगे? उत्तर:-मास्टर ज्ञान सागर कहेंगे। परन्तु नम्बरवार पुरूषार्थ अनुसार। 27. प्रश्न:- सागर कहें या नदी कहें? उत्तर:- तुम हो ज्ञान गंगायें, इसमें भी मनुष्य मूँझते हैं। मास्टर ज्ञान सागर कहना बिल्कुल ठीक है। 28. प्रश्न:- बाप बच्चों को पढ़ाते हैं, इसमें कौन-सी बात नहीं? उत्तर:- मेल-फीमेल की बात नहीं। 29. प्रश्न:-वर्सा भी तुम सब आत्मायें लेती हो इसलिए बाप क्या कहते हैं? उत्तर:- देही-अभिमानी बनो। 30. प्रश्न:-जैसे मैं परम आत्मा ज्ञान सागर वैसे तुम भी क्या हो? उत्तर:-ज्ञान सागर हो। मुझे परमपिता परमात्मा कहा जाता है, मेरी ड्युटी सबसे ऊंची है। 31. प्रश्न:-राजा-रानी की ड्युटी भी कैसी होती है? उत्तर:-सबसे ऊंची होती है ना। तुम्हारी भी ऊंची रखी गई है। 32. प्रश्न:- यहाँ तुम जानते हो, क्या जानते हो?
उत्तर:- हम आत्मायें पढ़ती हैं, परमात्मा पढ़ाते हैं इसलिए देही-अभिमानी भव। सब ब्रदर्स हो जाते हैं। बाप कितनी मेहनत करते हैं। 33. प्रश्न:- अभी तुम आत्मायें ज्ञान ले रही हो। फिर वहाँ जायेंगी तो क्या होता है? उत्तर:- प्रालब्ध चलती है। वहाँ सबका ब्रदर्ली प्रेम रहता है। 34. प्रश्न:- ब्रदर्ली प्रेम कैसा चाहिए? उत्तर:- बहुत अच्छा चाहिए। किसको रिगार्ड देना, किसको न देना.... ऐसा नहीं। 35. प्रश्न:- वो लोग कहते हैं - हिन्दू-मुसलमान भाई-भाई परन्तु एक-दो को वह क्या नहीं देते हैं? उत्तर:- रिगार्ड नहीं देते हैं। बहन-भाई नहीं, भाई-भाई कहना ठीक है। ब्रदरहुड। 36. प्रश्न:- आत्मा यहाँ पार्ट बजाने आई है। वहाँ भी भाई-भाई होकर रहती है। घर में जरूर सब कैसे रहेंगे? उत्तर:-भाई-भाई होकर रहेंगे। 37. प्रश्न:- बहन-भाई, यह चोला तो क्या करना पड़ता है? उत्तर:- यहाँ छोड़ना पड़ता है। भाई-भाई का ज्ञान बाप ही देते हैं। आत्मा भ्रकुटी के बीच रहती है। तुमको भी नज़र यहाँ डालनी है। 38. प्रश्न:- समझने की बातें कौन-सी हैं?* उत्तर:- हम आत्मा शरीर रूपी तख्त पर बैठे हैं। यह आत्मा का सिंहासन वा अकाल तख्त है। आत्मा को कभी काल खाता नहीं। *सबका तख्त यह है - भ्रकुटी के बीच।* इस पर वह अकाल आत्मा बैठी है। कितनी समझने की बातें हैं। 39. प्रश्न:- बच्चे में भी आत्मा जाती है तो भ्रकुटी के बीच में बैठती है। वो तख्त कैसा है? उत्तर:- वो छोटा तख्त फिर बड़ा होता जाता है। 40. प्रश्न:- यहाँ गर्भ में आत्मा को भोगना भोगनी पड़ती है तब क्या करते हैं? उत्तर:- पश्चाताप् करते हैं - हम कभी पाप आत्मा नहीं बनेंगे। 41. प्रश्न:- आधाकल्प...... आत्मा बनते हैं। अब बाप द्वारा ...... आत्मा बनते हैं।? उत्तर:- पाप, पावन 42. प्रश्न:- तुम तन-मन-धन सब कुछ बाप को देते हो, इतना दान कोई जानते नहीं। दान लेने और देने वाला भी कहाँ आता है? उत्तर:- भारत में ही आता है। यह सब महीन बातें हैं समझने की। 43. प्रश्न:- भारत कितना क्या बना है? उत्तर:- अविनाशी खण्ड बना है और सब खण्ड खत्म होने वाले हैं। यह बना-बनाया ड्रामा है। यह तुम्हारी बुद्धि में है। दुनिया नहीं जानती, इनको नॉलेज कहना अच्छा है। 44. प्रश्न:-नॉलेज इज सोर्स ऑफ इनकम, इनसे इनकम बहुत होती है, कैसे? उत्तर:- बाप को याद करो, यह भी नॉलेज देते हैं फिर सृष्टि चक्र की भी नॉलेज देते हैं। इसमें मेहनत है। 45. प्रश्न:- हम आत्माओं को अब वापिस जाना है इसलिए कैसे रहना है? उत्तर:- इस पुरानी दुनिया और पुराने शरीर से उपराम रहना है। देह सहित जो कुछ देखते हो सब खलास हो जाना है। अभी हम ट्रांसफर होते हैं। यह तो बाप ही बता सकेंगे। 45. प्रश्न:- यह बहुत बड़ा इम्तहान है, जो बाप ही पढ़ाते हैं। इसमें किसकी दरकार नहीं?* उत्तर:- किताब आदि की दरकार नहीं। बाप को याद करना है। बाप 84 का चक्र समझा देते हैं। ड्रामा की ड्युरेशन को तो कोई जानते नहीं। घोर अन्धियारे में हैं। 46. प्रश्न:- तुम अभी , ...... हो, मनुष्य तो ......... नहीं हैं।?* उत्तर:- जगे, जगते 47. प्रश्न:- कितनी तुम मेहनत करते हो, विश्वास नहीं करते, किस बात का? उत्तर:- कि भगवान् आकर इन्हों को पढ़ाते हैं। जरूर कोई में तो आयेंगे ना। 48. प्रश्न:-अब बाप आत्माओं को क्या राय देते हैं? उत्तर:- ऐसे-ऐसे करो जो मनुष्य समझ जायें। तुम्हारे लिए तो सहज है, नम्बरवार तो हैं ही। स्कूल में भी नम्बरवार होते हैं। पढ़ाई में भी नम्बरवार होते हैं। 49. प्रश्न:- इस पढ़ाई से क्या स्थापन हो रही है? उत्तर:- बड़ी राजाई स्थापन हो रही है। 50. प्रश्न:- ईश्वरीय लॉटरी किसको कहा जाता है? उत्तर:- पुरूषार्थ ऐसा करना है, जो हम राजा बने। इस समय जो तुम पुरूषार्थ करेंगे वह कल्प-कल्पान्तर करते रहेंगे। *इसको ईश्वरीय लॉटरी कहा जाता है। 51. प्रश्न:- किसको थोड़ी, किसको बड़ी लॉटरी होती है। राजाई की भी क्या है? उत्तर:- लॉटरी है। आत्मा जैसा कर्म करती है, ऐसी लॉटरी मिलती है। कोई गरीब बनते हैं, कोई साहूकार बनते हैं। 52. प्रश्न:- इस समय तुम बच्चों को सारी ........ बाप से मिलती है।? उत्तर:- लॉटरी। 53. प्रश्न:- इस समय के पुरूषार्थ पर बहुत मदार है। नम्बरवन पुरूषार्थ कौन-सा है? उत्तर:- याद का। तो पहले योगबल से स्वच्छ तो बनें। 54. प्रश्न:- तुम जानते हो जितना हम बाप को याद करेंगे उतना क्या होगा? उत्तर:- उतनी नॉलेज की धारणा होगी और बहुतों को समझाकर अपनी प्रजा बनायेंगे। 55. प्रश्न:- भल कोई भी धर्म वाला हो, जब आपस में मिलते हो तो क्या करो? उत्तर:- बाप का परिचय दो। आगे चल वह देखेंगे कि विनाश सामने खड़ा है। 56. प्रश्न:- विनाश के समय मनुष्यों को वैराग्य आता है। हमको सिर्फ क्या कहना है? उत्तर:- तुम आत्मा हो। हे गॉड फादर! किसने कहा? आत्मा ने। 57. प्रश्न:- अब बाप आत्माओं को क्या कहते हैं? उत्तर:- कि मैं तुम्हारा गाइड बनकर तुमको ले जाऊंगा, मुक्तिधाम में। *बाकी आत्मा का कभी विनाश नहीं होता तो मोक्ष का भी क्वेश्चन नहीं। 58. प्रश्न:- हर एक को अपना-अपना पार्ट बजाना है। आत्मायें सब कैसी हैं? उत्तर:- इमार्टल, कभी भी विनाश नहीं होंगी। 59. प्रश्न:- बाकी वहाँ जाने के लिए क्या करो?
उत्तर:-बाप को याद करो तो विकर्म विनाश होंगे। घर चले जायेंगे। 60. प्रश्न:-आखरीन बड़े-बड़े सन्यासी भी समझेंगे, क्या समझेंगे? उत्तर:-वापिस तो सबको जाना है। 61. प्रश्न:- तुम्हारा पैगाम सबकी बुद्धियों में क्या करेगा? उत्तर:- ठका करेगा, तब तो गायन है - अहो प्रभू...तुम्हरी गत मत, तो जरूर किसको मत देंगे या अपने पास रखेंगे? उनकी मत से सद्गति कैसे होती है, सो जरूर बतायेगा ना। 62. प्रश्न:- फिर वह क्या कहते हैं? उत्तर:- तुम्हरी गति-मत तुम जानो, हम नहीं जानते हैं। यह भी कोई बात है! 63. प्रश्न:- बाप क्या कहते हैं? उत्तर:- इस श्रीमत से तुम्हारी गति हो जाती है। अभी तुम जानते हो बाबा जो जानते हैं वह हमको सिखलाते हैं। 64. प्रश्न:- तुम क्या कहेंगे? उत्तर:- हम बाबा को जानते हैं। 65. प्रश्न:- वो गाते हैं तुम्हरी गति-मत तुम जानो। परन्तु तुम क्या कहेंगे? उत्तर:- ऐसे नहीं कहेंगे। बुद्धि में सारा ज्ञान बैठ जाये, इसमें भी टाइम लगता है। 66. प्रश्न:- सम्पूर्ण तो अभी कोई बना नहीं है। सम्पूर्ण बन जाये तो क्या होगा? उत्तर:- यहाँ से चले जायें। जाना तो है नहीं। अब सब पुरूषार्थ कर रहे हैं। 67. प्रश्न:- बाबा को भल पहले जोर से वैराग्य आया, फिर क्या देखा? उत्तर:- डबल सिरताज बनता हूँ - यह भी ड्रामा अनुसार बाबा ने दिखाया। मैं तो झट खुश हो गया। खुशी के मारे सब कुछ छोड़ दिया। 68. प्रश्न:- विनाश भी देखा तो चतुर्भुज भी देखा। तो क्या समझा? उत्तर:- अभी राजाई मिलती है। थोड़े रोज़ में विनाश हो जायेगा। ऐसा नशा चढ़ गया। 69. प्रश्न:- अभी क्या समझते हैं? उत्तर:- यह तो ठीक है, राजधानी बनेंगी। यह बहुतों को राजाई मिलनी है। एक हम जाकर क्या करेंगे। यह ज्ञान अभी मिलता है। पहले खुशी का पारा चढ़ गया। 70. प्रश्न:- पुरूषार्थ तो सबको करना है। तुम किसलिए बैठे हो? उत्तर:- पुरूषार्थ के लिए बैठे हो। 71. प्रश्न:- सुबह को याद में बैठते हो। यह बैठना भी अच्छा है, क्यों? उत्तर:- क्योंकि जानते हो बाबा आया है। बाप आया या दादा आया, यह तो गुड़ जाने गुड़ की गोथरी जाने। 72. प्रश्न:- एक-एक बच्चे को ....... रहेंगे। एक-एक को बैठ ......... देते हैं।? उत्तर:- देखते, सकाश। योग की अग्नि है ना। योग अग्नि से उनके विकर्म भस्म हो जाएं। जैसे कि बैठकर लाइट देते हैं। 73. प्रश्न:- एक-एक आत्मा को सर्चलाइट देते हैं। जैसे बाप कहते हैं, क्या कहते हैं? उत्तर:- मैं हर एक आत्मा को बैठ करेन्ट देता हूँ तो ताकत भरती जाए। 74. प्रश्न:- अगर किसकी बुद्धि बाहर में होगी तो क्या नहीं कर सकेंगे? उत्तर:- फिर करेन्ट को कैच नहीं कर सकेंगे। बुद्धि कहाँ न कहाँ भटकती रहेगी। उनको मिलेगा फिर क्या? 75. प्रश्न:- कहते हैं मिठरा घुरत घुराय, तुम प्यार करेंगे तो क्या पायेंगे? उत्तर:- प्यार पायेंगे। 76. प्रश्न:- बुद्धि बाहर भटकती रहेगी तो क्या होगा? उत्तर:- बैटरी चार्ज नहीं होगी। 77. प्रश्न:- बाप बैटरी चार्ज करने आता है, उनका फर्ज क्या है? उत्तर:- सर्विस करना। बच्चे सर्विस स्वीकार करते हैं वा नहीं यह तो उनकी आत्मा जाने। किस ख्यालात में बैठे हैं, यह सब बातें बाप समझाते हैं। *मैं भी परम आत्मा हूँ। मुझ बैटरी के साथ योग लगाते हो। मैं भी सकाश दूंगा। बहुत प्यार से एक-एक को सकाश देता हूँ।* 78. प्रश्न:- तुम तो बैठेंगे बाप को याद करने। बाबा क्या कहते हैं? उत्तर:- मैं एक-एक आत्मा को सकाश देता हूँ। सामने बैठ लाइट देता हूँ। तुम तो ऐसे नहीं करेंगे। जो पकड़ने वाले होंगे वह पकड़ेंगे और उनकी बैटरी चार्ज़ होगी। 79. प्रश्न:- बाबा दिन-प्रतिदिन क्या बताते रहते हैं? उत्तर:- युक्तियां तो बताते रहते हैं। बाकी समझा, न समझा - यह तो नम्बरवार स्टूडेन्ट पर मदार है। 80. प्रश्न:- तुम्हें बहुत ....... माल मिल रहा है। कोई हज़म भी करे ना। बड़ी लॉटरी है।? उत्तर:- तरावटी। जन्म-जन्मान्तर, कल्प-कल्पान्तर की लॉटरी है। इस पर पूरा अटेन्शन देना है। 81. प्रश्न:- बाबा से हम क्या ले रहे हैं? उत्तर:- करेन्ट ले रहे हैं। 82. प्रश्न:- बाप भी कहाँ बैठा है? उत्तर:- भ्रकुटी के बीच में बैठा है, बाजू में। 83. प्रश्न:- तुमको भी अपने को आत्मा समझ क्या करना है? उत्तर:- बाबा को याद करना है, न कि ब्रह्मा को। 84. प्रश्न:- हम उनसे योग लगा कर बैठे हैं, इनको देखते भी किसको देखते हैं? उत्तर:- हम उनको देखते हैं। आत्मा की ही बात है ना। अच्छा! * मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते। *
* धारणा के लिए मुख्य सार - 1) आत्मा को स्वच्छ बनाने के लिए सवेरे-सवेरे बाप से सर्च लाइट लेनी है, बुद्धियोग बाहर से निकाल एक बाप में लगाना है। बाप की करेन्ट को कैच करना है। 2) आपस में भाई-भाई के सच्चे लव से रहना है। सबको रिगार्ड देना है। आत्मा भाई अकाल तख्त पर विराजमान है, इसलिए भ्रकुटी में ही देखकर बात करनी है। वरदान:- बाप के संस्कारों को अपने ओरीज्नल संस्कार बनाने वाले शुभभावना, शुभकामनाधारी भव अभी तक कई बच्चों में फीलिंग के, किनारा करने के, परचिंतन करने वा सुनने के भिन्न-भिन्न संस्कार हैं, _ जिन्हें कह देते हो कि क्या करें मेरे ये संस्कार हैं...ये मेरा शब्द ही पुरुषार्थ में ढीला करता है। यह रावण की चीज़ है, मेरी नहीं। _ लेकिन जो बाप के संस्कार हैं वही ब्राह्मणों के ओरिज्नल संस्कार हैं। वह संस्कार हैं विश्वकल्याणकारी, शुभ चिंतनधारी। सबके प्रति शुभ भावना, शुभकामनाधारी। स्लोगन - जिनमें समर्थी है वही सर्व शक्तियों के खजाने के अधिकारी हैं। * ओम शांति *
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