Murli related questions and answers - PART 4. References:
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Q 1: Om shanti didi Didi 4.12 .2017 ki murli me baba ne kha jo pehle aatma aati hai vo dharam sthaapan nahi karti .Jo aatma parvesh karti hai vo dharam sthaapan karti hai.To kya jesus christ or gurunaanak dev ji ne parvesh kiya tha? Unki apni aatma ne janam nahi lia tha...
Answer: बाबा ने मुरलियो में बताया हुआ है कि परमधाम से जो कोई भी आत्मा पहले पहल आती है वो सतोप्रधान होती है अर्थात उसे किसी भी प्रकार का दुख नही होता। आप स्वयं विचार करे कि परमधाम से आई आत्मा ने जब कोई विकर्म ही नही किया फिर उसे किस बात वा कर्म की भोगना भोगनी पड़े। भोगना तो तब भोगनी पड़े जब कोई पूर्व में कोई विकर्म हुआ हो ना। आप देखे, जिस प्रकार आदि सनातन धर्म को स्थापना शिवबाबा ने ब्रह्मा तन में परकाया प्रवेश कर किया और जो भी दुख-तखलीफ़ हुआ वो ब्रह्मा तन को हुआ। ठीक इसी रीति अन्य सभी धर्मों को स्थापना भी pure soul ने किया। अर्थात कहने का तात्पर्य है कि ईशामसीह और गुरुनानक ने अपने-अपने धर्म की स्थापना नही की बल्कि उनके तन का आधार लेकर परमधाम से आई पवित्र आत्मा ने किया और सारा दुख-पीड़ा ईशामसीह और गुरुनानक की आत्मा को सहन करना पड़ा। इसलिए शिवबाबा ने एकदम सत्य महावाक्य उच्चारा कि पहले वाली आत्मा अर्थात बुद्ध, ईशामसीह और गुरुनानक के तन की असल आत्मा धर्म का स्थपना नही करती बल्कि उनकी शरीर मे परमधाम से आई हुई सतोप्रधान आत्मा ही प्रवेश कर धर्म की स्थापना करती है और बाद में वही आत्मा फिर उस धर्म की पालना के निमित्त बनती है, ठीक उसी तरह से जिस प्रकार ब्रह्मा बाबा ही श्रीकृष्ण वा श्रीनारायण के रूप में आदि सनातन देवी-देवता धर्म की पालना के निमित्त बनते है। ओम् शांति ------------------------------ * प्रश्न 2 -
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बापदादा कहते हैं कि विनाशकाल में आठ प्रकार के पेपर आयेंगे वह कौन-कौनसे पेपर हैं तथा उन्हें पास करने के लिए ह्में क्या पुरुषार्थ करना होगा ?? Answer: पेपर अर्थात परीक्ष। परीक्षा दो शब्दों के समुच्चय से बना है। परीक्षा = पर + इच्छा। अर्थात जो कुछ हमारी इच्छा के विपरीत हो उसे ही परीक्षा कहते है। विनाश काल या महापरिवर्तन के समय हम ब्राह्मणों के सन्मुख आने वाले मुख्य 8 प्रकार के पेपर निम्न है - (Refer: World Transformation) १- माया अर्थात 5 विकारो द्वारा पेपर
पुराने स्वभाव-संस्कार इमर्ज होने के रूप से सतयुग और त्रेता में आत्माभिमानी स्थिति में होने से वहाँ माया का कोई अंश या वंश नही होता। लेकिन द्वापर में आते ही देह प्रति दृष्टि हो जाने से शनैःशनैः माया वा विकारो की प्रवेशता होने लगती है। जो कलयुग अंत तक अत्यंत विकृत रूप ले लेती है। अंत समय हम ब्राह्मणों में भी मर्ज हो चुके कई पुराने स्वभाव-संस्कार रूपी विकार अचानक से इमर्ज हो जाएंगे। इस माया के पेपर में विजय पाने के लिए - देही-अभिमानी स्थिति में रहने का अभ्यास बढ़ाये। आदि-अनादि स्वरूप की स्मृति में रहने का अभ्यास बढ़ाये। २- प्रकृति द्वारा पेपर
प्रकृति द्वारा अन्त समय बाढ़, भूकंप, सुनामी, अकाल इत्यादि द्वारा पेपर आएंगे। इसे पास करने के लिए - मनसा सकाश द्वारा प्रकृती के तत्वो को सकाश देना है। प्रकृति के तत्वों यथा जल, अन्न इत्यादि का wastage नही करना है। ध्यान रखे - प्रकृति के जिन जिन तत्वों को हम ब्राह्मणों ने मनसा सकाश द्वारा भरपूर किया होगा, वो तत्व अंत समय हमारे लिए सहयोगी और सुरक्षा का कारण बनेंगे। ३- लौकिक संबंध या अज्ञानी आत्माओ के रूप में पेपर
अंत समय हमारे लौकिक संबंधी कर्मभोग के रूप में अपना हिसाब-किताब चुक्तू करेंगे। उनकी चिल्लाहट, करुण क्रंदन हमे उनकी तरफ आकर्षित करेगा। इसलिए ऐसे पेपर को पास करने के लिए हमे निम्न बातो का ध्यान रखना है। स्मृति रखे कि ड्रामा में सबका अपना अपना पार्ट और अपना अपना रहा हुआ हिसाब किताब है और इस अंत समय सभी का अपना हिसाब-किताब चुक्तू हो रहा है।
जैसे अंत समय बाप साक्षी हो जाएगा, वैसे ही खुद को भी साक्षीदृष्टा बना ले। हद की दृष्टि वृत्ति से उपराम बेहद की दृष्टि और आत्मीक वृति से अपने संबंधियो को मनसा सकाश द्वारा बल प्रदान करे। एक बाप से सर्व संबंध जोड़ने का अभ्यास अभी से बढ़ाते जाए। इसके लिए अपने जीवन की हर एक छोटी बड़ी बात को बाबा से शेयर करे। जब सर्व संबंध एक बाप से रहेंगे तब हद के संबंध अपनी तरफ आकर्षित नही कर पाएंगे। ४- अलौकिक परिवार द्वारा पेपर
ब्राह्मण परिवार द्वारा भी एक दूसरे की उन्नति को देख ईर्ष्या वश अनेक ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न किये जायेंगे, जिनसे संभव है कि हम बापदादा का हाथ साथ छोड़ दे। तो इन सब पेपर को पास करने के लिए स्मृति रखे कि - कई जन्म हमारा कनेक्शन इस ब्राह्मण परिवार से रहा है तो जरूर इनसे हमारा कार्मिक अकॉउंट भी बना ही होगा, जो अब इनके द्वारा लायी जा रही पेपर्स के रूप में चुक्तू हो रहा है। इसलिए बातो को ना देख, एक बाप को देखे और फॉलो करें।
सबके प्रति शुभ भावना और शुभ कामना के संकल्प द्वारा अपना हिसाब किताब चुक्तू करना है। बाबा के हाथ अर्थात मुरली में बाबा के डाइरेक्शन को फॉलो करें और साथ अर्थात बापदादा के साथ कंबाइंड रहे।
५- राज्य सत्ता अर्थात सरकार द्वारा पेपर
अंत समय राज्य सत्ता अर्थात सरकार द्वारा भी अनेको करो को अधिरोपित कर, भूमि संपत्ति का अधिग्रहण, बैंकों में जमा धन का सीज किये जाने आदी अनेक भिन्न भिन्न रूपो से पेपर आएंगे। इसके लिए स्मृति रहै कि - बाबा ने पहले ही बता दिया था- किन की दबी रहेगी धूल में.......किनकी राजा खाय, सफल हुए उनके जो ईश्वर अर्थ लगाए। गीता के महावाक्य - क्या खो गया जो तुम लेकर आये थे ! ये धन संपदा सब विनाशी वस्तुये है और हम तो अब ऐसी दुनिया में जा रहे है जहां अप्राप्त कोई वस्तु नही। ... ऐसे ऐसे श्रेष्ठ चिंतन कर के अपने को श्रेष्ठ स्वमानो में स्थित करे। ६- धर्म सत्ता अर्थात अन्य धर्मो की आत्माओ द्वारा पेपर
अंत समय अन्य धर्मो की आत्माओ द्वारा दंगा, हिंसक कृत्य आदि के रूप द्वारा भिन्न भिन्न पेपर आएंगे। इन पेपर्स को पास करने की बिधि है - एक बाप से कंबाइंड योग युक्त स्थिति:- जब ऐसी स्थिति रहेगी तब हिंसा पर उतारू अन्य धर्म की आत्माओ को हमसे दिव्य प्रकाश या उनके इष्ट का साक्षत्कार होगा और वे डर कर या हमे नमस्कार कर के हमसे दूर हो जाएंगी। शिव बाबा का संदेश जितनी भी ज्यादा आत्माओ को देने के निमित हम बनेंगे, अन्त समय शिवबाबा के सर्व धर्म की आत्माओ के स्वीकार्य पिता हो जाने के कारण, जब वे आत्माये हमे अर्थात शिववंशी सो ब्रह्मवंशी आत्माओ को सन्मुख देखेंगी तो हम पर वार नही करेंगे। ७- भटकती आत्माओ से पेपर
अंत समय इतना ज्यादा मौते होंगी जो आत्माओ को शरीर नही मिलेगा। ऐसे समय हिसाब किताब अनुसार एक एक मनुष्यात्माओं में एक साथ कई आत्माये प्रवेश कर जाएंगी। वो स्थिति अत्यंत भयावह होगी। ऐसी स्थिति को पार करने के लिए पवित्रता के बल को अत्यंत पावरफुल बनाये। जिन आत्माओ में पवित्रता और योग का बल होगा, उनके एक दृष्टि से ही भटकती आत्माओ का उद्धार हो जाएगा। अपने पूर्वजपन की आधारमूर्त और वर्तमान संगमयुगी कर्तव्य उद्धारमूर्त के स्मृति स्वरूप बन कर रहना होगा। ८- शारीरिक कर्मभोग या कष्टप्रद बीमारी आदि के रूप में
अंत समय हम ब्राह्मणों को भी कष्टप्रद शारीरिक रोगों के भोगनाओ के रूप में भी पेपर्स आने है। इस् पेपर को पास करने के लिए - अशरीरीपन का अभ्यास बढ़ाना है। जितना जितना इस शरीर रूपी वस्त्र से detach रहेंगे , उतना ही शारीरिक भोगनाओ की महसूसता से उपराम होंगे। ओम शांति
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