Meaning of words said in Gyan Murli by Shiv baba - मुरली के शब्दों का यथार्थ अर्थ l - Part 2 of 3
मुरली शब्दकोष (Murli Dictionary) में रोज की साकार मुरलियो मे आने वाले कठिन शब्दों का अर्थ सरल हिन्दी शब्दों में समझाने का प्रयास किया गया है। कठिन शब्द को कोई परिभाषा नहीं दी जा सकती। देशकाल भाषा की समझ ज्ञान -स्तर में भिन्नता होने के कारण हर किसी के लिए कठिन और सरल शब्द का मापदण्ड अलग अलग हो सकता है।अतएव शब्दों के चुनाव में सामान्यीकरण (common guide for everyone) पर विशेष ध्यान दिया गया है।
वर्तमान समय अनुसार मुरली में आये कठिन शब्दों के भावार्थ जानना आवश्यक हो जाता है। साकार मुरली के शब्दो पर यह हिन्दी स्पास्टीकरण आपके लिए उपयोगी साबित हो ऐसी आशा करते है।
* FORMAT *
शब्द – सरल हिन्दी भाषा मे उसका अर्थ
61 . ओम् – मे आत्मा
62 . कलश – गगरा, घागर, घड़ा।
63 . कल्प – 5000 वर्ष का एक चक्र का नाटक/ड्रामा
64 . कल्प-कल्पान्तर – हर कल्प में (सतयुग से संगमयुग तक)
65 . कवच – बख्तर/युद्ध में छाती की रक्षा के लिये उपयोगी आवरण
66 . कशिश – आकर्षण, खिंचाव, झुकाव, रुझान।
67 . कागविष्ठा – बहुत थोड़ा/कौए की लीद जैसा गन्दा
68 . काम कटारी – काम विकार में जाना
69 . कामधेनु – एक गाय जो पुराणानुसार समुद्र के मंथन सक निकली थी। पर चौदह रत्नों में से एक है, इससे जो मांगो वही मिलता है।
70 . कुब्जाओं – जिसकी पीठ टेड़ी हो/कुबड़ा स्त्री
71 . कुख वंशावली – गर्भ से जन्म (लौकिक)
72 . कुम्भीपाक नर्क – पुराणों में वर्णित एक घोर नर्क
73 . कूट – पीटते हैं
74 . कृष्णपुरी – सतयुग में श्रीकृष्ण का राज्य
75 . कौड़ी मिसल – कौड़ियों के मोल/मूल्यहीन
76 . कौरव – दुःख देने वाले मनुष्य, 'जो ईश्वरीय नियम मर्यादाओं को न मानते है और न उनकी श्रीमत पर चलते है, कौरव कहलाते है!' भारत में कौरव वंशियों का महाविनाश के समय आपस में गृहयुद्ध होगा।
77 . खग्गे/कन्धे उछालना – खुशी में रहना
78 . खलास – खत्म/समाप्त
79 . खाद – विकारों का लेप हो/युक्त हो
80 . खिदमतगार – सेवाधारी
81 . खिव्वैया – तारणहार/नैया पार लगाने वाला
82 . खुदाई खिदमतगार – ईश्वर की खिदमत या सेवा करनेवाला।
83 . खैराफत – कुशल क्षेम/ राजीखुशी/ भलाई
84 . खोट – दोष, अशुद्धि, किसी कार्य या व्यक्ति के प्रति मन में होने वाली बुरी भावना।
85 . ख्यानत – अमानत या धरोहर के रूप में रखी वस्तु को हड़प लेना या चुरा लेना, बुरी नीयत से किसी दूसरे की संपत्ति का गबन कर लेना बेईमानी या भ्रष्टाचार, विश्वासघात
86 . ख्यालात – विचार या भाव आदि
87 . गफलत – असावधानी
88 . गणिका – ओंवेश्या वृत्ति के धन्धे में लिप्त स्त्री
89 . गरीब-निवाज़ – गरीबों का रहनुमा/मददगार शिव परमात्मा
90 . गर्भ जेल – गर्भ जेल में रहते कर्म बन्धन के हिसाब किताब चूकतू करना
91 . गांवड़े – गाँव का
92 . गुरूमत – प्रसिद्ध गुरूओं के मत पर आधारित
93 . गुंजाइश – संभावना, किसी बात के होने की propability
94 . गुलशन – बगीचा
95 . गृहचारी – गृहों की स्थिति के अनुसार किसी मनुष्य की भली बुरी अवस्था/ दुर्भाग्य
96 . गोपीवल्लभ – महाभारत में वर्णित गोप-गोपियों के अत्यन्त प्रिय श्रीकृष्ण जिनकी मुरली की धुन सुनने के लिये अपनी सुधि बुधि खोकर काम काज छोड़कर चले आते थे। वास्तव में हम बच्चे ही वही गोप-गोपियां हैं, जो नित उस परमप्रिय शिवबाबा अर्थात् गोपीबल्लभ को याद किये और मुरली सुने बिना नहीं रह सकती हैं।
97 . गोया – मानो/अर्थात्
98 . गोरखधंधा – गड़बड़, गड़बड़ी करनेवाला, घपलेबाजी, गोलमाल करना, अनियमितता।
99. गोसाईं – श्रेष्ठ, मालिक, शिव परमात्मा, स्वामी।
100 . ग्रहचारी – कुंडली में बुरे ग्रह बैठ जाना
101 . ग्रहण – स्वीकार करना,धारण,पहनना।
102 . चन्द्र वंशी – त्रेतायुगी देवी देवता
103 . चात्रक – जिज्ञासु बने रहना, हमेशा तैयार जिस प्रकार चात्रक व पपीहा पक्षी स्वाति नक्षत्र की बूंद की चाहना करता हुआ उसके इंतजार में आसमान में अपनी आंखे टिकाऐ रखता है, उसी प्रकार बच्चे बाबा की मुरली को जिज्ञासु बन कर इंतजार करते रहते है कि बाबा मुरली में क्या कहने वाला है।
104 . चैतन्य लाइट हाउस – जैसे स्थूल लाइट हाउस सभी जहाजों को रास्ता बताता है, वैसे ही ब्राह्मण बच्चे चैतन्य रूप में अपने ज्ञान योग की आत्मिक लाइट से सभी को सही रास्ता बताते हैं।
105 . चों चों का मुरब्बा – किस चीज से बना ये पहचानना मुश्किल/सब कुछ मिक्स
106 . छि-छि-पलीती – गन्दा (नये जन्में शिशु के कपड़ों जैसा)
107 . जड़जड़ीभूत – होनाखोखला होना
108 . जानीजाननहार – सर्वज्ञ/सबकुछ जानने वाला
109 . जिन्न जैसी बुद्धि – अथक परिश्रमी (जिन्न का अर्थ भूत)
110 . जिस्मानी यात्रा – शारीरिक यात्रा
111 . जुत्ती – शरीर
112 . जूं मिसल – धीरे धीरे लगातार
113 . ज्ञान की कंठी – ज्ञान की माला/प्राप्ति
114 . ज्योत ज्योत समाना – भक्तिमार्ग में कहते है आत्मा ज्योति मृत्यु के बाद परमात्मा ज्योति में विलीन हो जाती है
115 . झांझ – एक वाद्ययंत्र/संगीत निकालने वाला स्थान
116 . झाड़ – मनुष्य सृष्टि रूपी कल्प वृक्ष, जिसमें बताया गया है पुरी सृष्टि पर आत्माओं का फैलाओ कैसे हुआ, सारे धर्म कैसे फैले, उनकी समय समय पर गति कैसी रही। उसके बारे में स्पष्ट दिया हुआ है। मनुष्य सृष्टि रूपी झाड़ के रूप में।
117 . टाल-टालियाँ – सभी धर्मों की विभिन्न शाखायें
118 . डबल सिरताज – स्वर्ग में डबल सिरताज होते देवी देवता, एक लाइट अर्थात पवित्रता का ताज और दूसरा रतन जड़ित ताज
119 . डोडा – जवारी, ज्वारे/बाजरी कि रोटी
120 . तकदीर – भाग्य/प्रारब्ध/किस्मत
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