शिव बाबा की मुरली से विशेष प्रश्न उत्तर (जरूर पढ़े) - Question Answers in Hindi from Baba's Gyan murli.
Also refer: शिव बाबा की 108 श्रीमत
प्रश्न:
बाबा बारबार क्यो कहते कि याद करो अब घर जाना है,अशरीरी पन की प्रैक्टिस करो ?
उत्तर:
हम जहाँ जाना होता है वहा स्थूल रीति से जाने से पहले मनबुद्धि द्वारा बहुत बार चक्कर लगा आते है। जैसे हमे शिमला जाना है।तो पहले से तैयारी कर लेतेहै वहाँ ठंड होगी।गर्म कपड़े pack कर लेते है।फिर जहाँ ठहरना है सो होटल लॉज वालो का पता करना शुरू करते है।वहाँ कहा कहा घूमना है उसके बारे में भी जानकारी इकट्ठा करना शुरू करते है।फिर वहा जितना दिन रहना है हर दिन का tentitive प्लान भी मन सोच लेते है।यानी हम अभी फिजिकली पहुचे नही की बुद्धि में बार बार शिमला और वहाँ की बाते आती रहतीहै।और जब जब हम यह बातें सोचते है तब तब बुद्धि उस जगह से जुड़ जाती है। मतलब बुद्धि का योग उस जगह से होता रहताहै। और जब किसी से हमारा योग लगता है तब हम वहां की एनर्जी को भी attract करते। कनेक्शन से एनर्जी का conduction शुरू होता है। इसीतरह जब हम आत्माओ को पताहै अब हमें परमधाम जाना है परमात्मा के साथ जाना है। अब परमात्मा के संग जहाँ जाना है वहाँ की महिमा का बार बार बुद्धि में वर्णन करेंगे तो परमधाम से कनेक्सशन हो जाएगा।वहाँ की पवित्रता और शांति की एनर्जी को हम आवाहन करेंगे। और उसे ग्रहण करेंगे। इसलिए बाबा कहते है याद रखो की अब घर जाना है। जाने की तैयारी करो।मतलब बेहद का वैराग्य करो इस संसार का।जहाँ जाना है वहां बहुत शांति है स्वीट साइलेंस है। उस स्वीट साइलेंस को याद करो बुद्धि से जुड़ जाओ। अभी स्थूल में आत्मा वहा शरीर छोड़ तो नही जा सकती है। जब समय आएगा.. जाना है.... मानो या ना मानो जाना तो है ही....जब तक नही पहुचेंगे तब तक जाने की तैयारी करते रहना है।। क्या क्या करना होगा ताकि हम खुशी खुशी परमधाम परमात्मा के संग जा सके !?? वो भी हमारा गाइड पंडा शिवबाबा बताते है।
1) देह सहित देह की सभी सम्बधों को भूल जाओ।नष्टो मोह बन जाओ। 2) स्वीट साइलेंस है वहा तो अंतर्मुखी बनो।मन का भी मौन रखने की आदत डालो।ज्यादा आवाज में नही आओ।जितना जरूरी है उतना ही बोलो। 3) पवित्रता का घर है वो। तो अभी तन,मन,धन से पवित्रता को अपनाओ। आत्मा को पवित्र बनाओ। 4) बहुत दूर है परमधाम मगर आत्मा में इतनी शक्ति है कि वो सेकंड में वहां पहुँच जाती है। इसलिए अपनी शक्ति को इमर्ज करो उसके लिए बार बार मन को एक सैकंड में जहाँ जाना चाहे वहा जाने का अभ्यास कराओ।मधुबन की चार धाम यात्रा कराओ,सूक्ष्मवतन में जाओ ,कभी अपने ही सेंटर का चक्कर लगाओ। कभी विश्व ग्लोब पर जाके सकाश दो।यह है मन बुद्धि की exercise जिससे आत्मा अपनी rocket से भी ज्यादा फ़ास्ट उड़ने की शक्ति को जागृत कर ले। यह सब करेंगे तो जब बाबा कहे चलो बच्चे अब घर चलो तो फट से हम अपने मंजिल के लिए चल पड़े। ओम शान्ति
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प्रश्न:
बाबा ने मांगने से मना किया है , मुरली में आता है माँगने से मरना भला तब हम अधिकार से कैसे ले सकते है प्लीज क्लीयर कीजिए।
उत्तर:
आपको यदि अपने लौकिक मात पिता से कुछ माँगना हो तो आप किस मनोस्थिति से माँगती है और किसी अन्य से कुछ माँगना हो तो क्या उसी मनोस्थिति से माँगेगी । विवाहित कन्या का भी अपने मायके के व्यवहार और ससुरघर के व्यवहार में फर्क साफ़ देखने में आता है । ससुराल में भी जब वह नयी नवेली दुल्हन के रूप में आती है तब के व्यवहार और कई वर्षों के बाद का व्यवहार एक समान नहीं रहता। एक में सम्बन्ध के कारण अपनापन है इसलिए अधिकार होता है जबकि दूसरे में यह नहीं होने की वजह से संकोच अथवा झुकाव है । जहाँ पर प्यार,मित्रता और घनिष्ठता है वहाँ सम्बन्ध का निर्माण होता है जिससे अपनापन अनुभव होता है और जहाँ अपनापन होता है वहाँ अधिकार स्वतः पैदा हो जाता है। भक्ति में परमात्मा का सच्चा परिचय, उनसे अपना सम्बन्ध और प्राप्तियों का ज्ञान न होने से अधिकार की भावना नहीं रहती इसलिए माँगते रहते हैं। दूसरी बात बाबा ने दूसरों से माँगने के लिये मना किया है क्योंकि हम देवता अर्थात दाता बन रहे हैं और दाता मांगते नहीं बल्कि देते हैं । बाबा के जब हम बच्चे बनते हैं तब भक्त नहीं रह जाते अधिकारी बन जाते हैं और माँगने की वृत्ति धीरे धीरे समाप्त हो जानी चाहिए। जब हम अपने अधिकारीपन की स्थिति अथवा सर्वप्राप्ति स्वरुप के स्वमान से नीचे आते हैं तभी ही मांगने की वृत्ति इमर्ज होती है । हाँ बाप के सामने प्यार अथवा अधिकार से हम अपनी इच्छा जरूर रख सकते हैं पर उसके बाद निश्चय बुद्धि हो निश्चिंत हो जाना चाहिए क्योंकि वो जानता है हमारे लिए क्या जरुरी और उचित है , बस पूर्ण रूप से विश्वास और सही वक्त आने का इंतज़ार करना पड़ता है ।
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