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दिव्य बुद्धि (Hindi poem on Win over Maya)


Hindi poem on the Divine nature of Soul. How to defeat Maya of 5 vices? Purusharth to develop Divine nature from a devil-like nature.

* आसुरी वृत्ति की हार *

भीतर के मनोयुद्ध में ना मालूम कौन हारेगा

कौन बचेगा जिंदा और कौन किसको मारेगा

वर्षों से मनोयुद्ध सबके मन में चलता आया

इसी युद्ध ने हमको देवता या असुर बनाया

कहानी इस युद्ध की सदियों से आई चलती

हर जन्म यह कहानी अपनी चाल बदलती

कभी बनाती राजा हमें कभी ये रंक बनाती

कभी चढ़ाती अर्श पे कभी फर्श पे गिराती

बड़ा कमाल का है यह उठा पटक का खेल

बनता और बिगड़ता है कर्मों का पोता मेल

एक जन्म का पुण्य आगे हमको सुख देता

अगर पाप किए तो दुःख भी हमें बहुत देता

आने वाले हर दुख का हमने कारण जाना

ईश्वर से मिले ज्ञान नेत्रों से इसको पहचाना

हमने सब दुख बढ़ाये अपने ही विकर्मों से

नाश करेंगे दुख का हम अपने ही सुकर्मों से

युक्ति हमें मिल गई सम्पूर्ण सुखी बनने की

कसम खाई आसुरी संस्कारों को बदलने की

जीवन से विकारों को जड़ से हम मिटा देंगे

आने वाले हर विघ्न को हम पथ से हटा देंगे

अपना आत्म अभिमान पूरा हम जगा लेंगे

देह त्याग से पहले खुद को पावन बना लेंगे

आत्म भान को बनाएंगे जीवन का श्रृंगार

हम जीतेंगे और होगी आसुरी वृत्ति की हार

*ॐ शांति*

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