ब्रह्माकुमारी व ब्रह्माकुमार आज जानते है की अव्यक्त बापदादा की मुरली द्वारा पालना देने का पार्ट अब समाप्त हुआ है। अर्थात अब हमे ज्ञान स्वरुप, अव्यक्त फरिस्ता स्वरुप बनना है। शिक्षक की शिक्षा तो हमारे साथ है ही है, और उसमे भी शिव बाबा हम बच्चो को योग में extra सहयोग दे रहे है। अच्छा, यह तो हुई हर एक आत्मा के पुरुषार्थ अनुसार उनके अनुभव की बात। हमारे अन्य लेख पढ़ने लिए General Articles जरूर विजिट करे।
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यह लेख में आप जानेंगे की अव्यक्त में मिलन मनाना अर्थात क्या? जरूर पढ़े, समझे, अभ्यास में लाये, और अन्य बी.के.भाई बहनो को SHARE करे।
बाबा मिलन क्या होता है ?
✦ सबसे पहले तो ये की हम ब्राह्मण आत्माये इतने प्यार से बाबा किसे कहते है तो "बाबा" शब्द जो हम बोलते रहते है वो हमारे आत्मिक पिता, पारलौकिक पिता शिव है, बाबा इसलिए कहते है क्योंकि बाबा शब्द एक बहुत प्यार का प्रतीक है, हम अपने अपने घर में भी अपने बड़े बुजुर्गों को प्यार से बाबा कहते है न, क्योंकि जिससे हम बहुत प्रेम करते हो और जो अनुभवों का भण्डार हो और जो हमारे जीवन के भविष्य में हमारे मददगार है।
✦ अब हम बाबा मिलन अर्थात परमात्म मिलन कहते है इसका तात्पर्य यह है कि जब इस दुनिया में विकारों की आंधी, सत्य का विनाश और अधर्म की हानि होती है, तब स्वयं परमात्मा इस धरा पर साधारण तन में प्रवेश कर हम आत्माओ को सत्यता, प्रेम ,सुख, शांति का पाठ पढ़ाते है, मानव को पुनः सच्चा मानव बनाते है, सत्कर्म व् सत्यधर्म का पाठ पढ़ाकर एक नया राज्य नयी दुनिया सतयुग के स्थापना के निमित्त बनाते है।
✦ भगवान् ने कहा है मैं किसी साधारण से रूप में इस धरा पर आकर तुमको अपना परिचय देता हूँ, तुममे से कोई विरला ही मुझे पहचान पायेंगे क्योंकि तुम मायानगरी में बिलकुल अंधे बन पड़े थे इसलिए मुझे तुम आत्माओ को जगाने आना होता है। तो जो आत्माये परमात्मा को पहचान लेते है और उनकी श्रीमत को पालन करते है वही वास्तव में परमात्मा से मिलन मनाते है।
✦ बाबा मिलन अर्थात जिस तरह हम इस दुनिया में लोगो से बात करते, मिलते, मिलन मनाते है उसी प्रकार हम आत्मा स्वरुप में टिक कर सुबह सुबह जो विशेष परमात्म की याद का समय होता है, उस समय परमात्मा रूह रिहान कर सकते है ,उनसे मन से ही ,अपने संकल्पों से बात कर सकते है ,उनसे प्रतिदिन मिलन मना सकते है तो ये बाबा मिलन होता है।
✦ और जब स्वयं आदिपिता प्रजापिता ब्रह्मा इस धरा पर जीवित थे तब परमात्मा उनके तन का आधार लेकर कभी भी आत्माओ से मिलन मनाने आजाते परंतु उनके देह त्यागने के बाद और सर्वश्रष्ठ पवित्र 8 में सम्मलित रत्न हमारी दादी जी की तन में आकर विशेष दिन फिक्स कर परमात्मा आत्माओ से डायरेक्ट इस धरा पर मिलन मनाते है तो इसे ही हम बाबा या बापदादा मिलन कहते है।
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अव्यक्त बापदादा से मिलन करने का योग (with guided commentary)
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