Hindi Poem from today's murli. Aaj ki gyan murli se ek Kavita 25 Jan 2019. This poem is daily written on day's murli by BK Mukesh (Rajasthan). To read more Hindi poems written, visit Special Hindi Poems page.
* मुरली कविता दिनांक 25.1.2019 *
मीठे बच्चों जिस तरह करते बाप तुम्हारा श्रृंगार
औरों का श्रृंगार करके करो उन पर तुम उपकार
जो भी आए उसको तुम प्यार से ज्ञान समझाना
सेवा करते हुए कोई भी फिकर ना मन में लाना
ज्ञान की नई बात जब तुम जग वालों को सुनाते
भक्ति की खींच के कारण वे ज्ञान समझ ना पाते
बनकर पूरे परवाने कोई बाप पर फिदा हो जाते
उछल में आकर वो सबकुछ न्योछावर कर जाते
दूर देश के मुसाफिर हम सब अपना पार्ट बजाते
फिर से पार्ट बजाने के लिए पहले हम घर जाते
अब है रावण राज्य जिसमें परमात्मा राम आते
नर्क बन चुकी इस दुनिया को हेवन स्वर्ग बनाते
पढ़ाई और योगबल से ही पद ऊँचा तुम पाओगे
ये सब तभी होगा जब पावन खुद को बनाओगे
भाई-भाई देखने की आदत पक्की करते जाना
यही अभ्यास करके क्रिमिनल दृष्टि को मिटाना
बुद्धि रूपी झोली के अन्दर ज्ञान खजाना भरना
सदा चुप बैठकर अविनाशी कमाई जमा करना
त्रिकालदर्शी की सीट पर विराजमान हो जाओ
खुद की स्व स्थिति को तुम शक्तिशाली बनाओ
आदि मध्य अंत समझकर हर कर्म करते जाओ
परिस्थितियों को सहज रीति पार करते जाओ
सर्व शक्तियों और ज्ञान से जो सम्पन्न बन जाते
संगमयुग की प्रालब्ध के वो अधिकारी कहलाते
*ॐ शांति*
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