top of page

आज की मुरली का सार 13 May 2019

Writer's picture: Website AdminWebsite Admin

Aaj ki Murli ka Saar - Today's Murli essence in Hindi. आज की मुरली का सार 13 May 2019. You can also listen today's murli (in Hindi & English)


“मीठे बच्चे - देही-अभिमानी बाप तुम्हें देही-अभिमानी भव का पाठ पढ़ाते हैं, तुम्हारा पुरूषार्थ है देह-अभिमान को छोड़ना”


Q- देह-अभिमानी बनने से कौन-सी पहली बीमारी उत्पन्न होती है?


A- नाम-रूप की। यह बीमारी ही विकारी बना देती है इसलिए बाप कहते हैं आत्म-अभिमानी रहने की प्रैक्टिस करो। इस शरीर से तुम्हारा लगाव नहीं होना चाहिए। देह के लगाव को छोड़ एक बाप को याद करो तो पावन बन जायेंगे। बाप तुम्हें जीवनबन्ध से जीवनमुक्त बनने की युक्ति बताते हैं। यही पढ़ाई है।


Dharna

1) सतोप्रधान बनने के लिए सिवाए बाप के और किसी को भी याद नहीं करना है। देही-अभिमानी बनने की प्रैक्टिस करनी है।-----

2) सबसे क्षीरखण्ड होकर रहना है। इस अन्तिम जन्म में विकारों पर विजय प्राप्त कर जगतजीत बनना है।


Vardaan

हर कर्म में विजय का अटल निश्चय और नशा रखने वाले अधिकारी आत्मा भव-----

विजय हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है - इस स्मृति से सदा उड़ते चलो। कुछ भी हो जाए - ये स्मृति में लाओ कि मैं सदा विजयी हूँ। क्या भी हो जाए - यह निश्चय अटल हो। नशे का आधार है ही निश्चय। निश्चय कम तो नशा कम। इसलिए कहते हैं निश्चयबुद्धि विजयी। निश्चय में कभी-कभी वाले नहीं बनना। अविनाशी बाप है तो अविनाशी प्राप्ति के अधिकारी बनो। हर कर्म में विजय का निश्चय और नशा हो।


Slogan

बाप के स्नेह की छत्रछाया के नीचे रहो तो कोई भी विघ्न ठहर नहीं सकता।


---- Useful links ----


9 views

Related Posts

See All

Comentarios


bottom of page