Aaj ki Gyan Murli se Ek Kavita - 6 March 2019. आज की मुरली से कविता. This is poem from today's baba's murli. To access old murli poems and more, visit the Daily Murli Poems page.
* मुरली कविता दिनांक 6.3.2019 *
थालियाँ भरकर ज्ञान रत्न देने आए ज्ञान सागर
फिकरातों से मुक्त होकर भर लो मन की गागर
स्वच्छ होने के लिए भक्त गंगा में डुबकी लगाते
आत्मा रूपी वस्त्र केवल बाप ही स्वच्छ बनाते
ज्ञानमार्ग में चलकर आत्मा पावन बनती जाती
पवित्रता के पंखों से उड़कर अपने घर में जाती
पावन बनने की कोई भी विधि काम ना आएगी
याद की यात्रा ही तुम बच्चों को पावन बनाएगी
कल्प के एक चक्र में वर्ष लग जाते पांच हजार
आधा कल्प गुजरने के बाद आते पांच विकार
अपना और सर्व का तुम कल्याण करते जाओ
खत्म ना हो अपनी कमाई ख़बरदार हो जाओ
बाप समान फिक्र से मुक्त सदा निश्चिन्त रहना
बाप से स्कॉलरशिप लेने का पूरा प्रयास करना
ब्राह्मण जीवन को विशेषता से सम्पन्न बनाओ
विशेष आत्मा का स्वरूप अन्तर्मन में जगाओ
पवित्रता और शांति का प्रकाश फैलाते जाओ
अंधियारा मिटाने वाले लाइट हाउस कहलाओ
*ॐ शांति*
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