Hindi Poem from today's murli. Aaj ki gyan murli se ek Kavita 4 Feb 2019. This poem is daily written on day's murli by Brahma Kumar (BK) Mukesh (from Rajasthan). To read more Hindi poems written, visit Murli Poems page.
* मुरली कविता दिनांक 4.2.2019 *
अन्तर्मुखी होकर करें अपने कल्याण का ख्याल
खुद से पूछते रहें क्या है मेरे हर्षितपने का हाल
जहाँ कहीं भी मेरे बच्चों तुम घूमने फिरने जाना
अकेले में विचार सागर मंथन की आदत बनाना
रहमदिल बाप के बच्चों रहम ये खुद पर करना
देही अभिमानी बनने की तुम पूरी मेहनत करना
सदा यही स्मृति रखना हमने ही बुलाया बाप को
खुद पर तरस खाकर बच्चों फूल बनना आपको
लक्ष्मी नारायण का चित्र नजर जब भी आ जाए
लक्ष्य और चक्र बच्चों आपकी बुद्धि में आ जाए
लक्ष्मी नारायण और सृष्टि चक्र का चित्र लगाओ
इन चित्रों को ईश्वरीय सेवा का हथियार बनाओ
चलते फिरते कर्म करते बुद्धि गीत एक ही गाए
मीठे बाप के पास हम बच्चे पढ़ने के लिए आए
बच्चों के कल्याण के खातिर बाप यहां पर आते
वो आज्ञा क्यों नहीं मानते जो बाप हमें समझाते
बाप का नाम बाला करना अच्छी रीति पढ़कर
स्वर्ग के लायक बनना तुम चलन रॉयल रखकर
रहमदिली रखकर गुण पुष्प बनना और बनाना
सर्व के कल्याण के लिए अन्तर्मुखी बनते जाना
तपस्या करके तुम अपनी ऐसी अवस्था बनाओ
विकारों पर विजय पाकर तपस्वीमूर्त कहलाओ
अपने स्वभाव को शान्तचित्त और मीठा बनाओ
क्रोध रूपी भूत पर विजय पाने का जश्न मनाओ
*ॐ शांति*
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