Hindi Poem from today's murli. Aaj ki gyan murli se ek Kavita 3 Feb 2019. This poem is daily written on day's murli by BK Mukesh (Rajasthan). To read more Hindi poems written, visit Murli Poems page.
* मुरली कविता दिनांक 3.2.2019 *
*पद्मापद्म भाग्यशाली की निशानी*
अलौकिक ब्राह्मण जीवन जिसने भी अपनाया
बाप की नजर में वो बच्चा भाग्यवान कहलाया
बाप के सर्व खजानों पर हर बच्चे का अधिकार
लेकिन खजाने बढ़ाने में हर बच्चा हैं नम्बरवार
इसी कारण कई बच्चे रह जाते सिर्फ भाग्यवान
सर्व खजाने बढ़ाकर कोई कहलाते सौभाग्यवान
जो कोई खजानों को विधिपूर्वक कार्य में लगाते
हजार लाख और पद्मापद्म भग्यशाली बन जाते
अविनाशी ये धन सारा जो खत्म कभी ना होता
इसको खर्चने और खाने वाला मालामाल होता
संकल्प बोल और कर्म जो कोई सेवा में लगाता
पदम् जमाकर वो पद्मापद्म भाग्यवान कहलाता
फ्राकदिली से जो औरों पर खजाने सभी लुटाते
अविनाशी अखण्ड महादानी वो बच्चे कहलाते
नई विधियां निकालकर बच्चे सेवा आगे बढ़ाते
मनसा वाचा और कर्मणा सेवा का लंगर चलाते
निरन्तर योगी और निरन्तर सेवाधारी बन जाते
सेवाओं का प्रत्यक्ष फल वो खाते और खिलाते
हद के आकर्षण का फल वे करते नहीं स्वीकार
बाप व विश्व का प्यारा बनाता उनको ये संस्कार
जांच करो अब खुद की मैं हूँ कितना भाग्यवान
बाप के समीप रहकर क्या मैं बना हूँ बाप समान
*ॐ शांति*
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