Aaj ki Gyan Murli se Ek Kavita - 27 March 2019. आज की मुरली से कविता. This is poem from today's baba's murli. To access old murli poems and more, visit the Daily Murli Poems page.
* मुरली कविता दिनांक 27.03.2019 *
बच्चों वानप्रस्थी बनकर वाणी से परे हो जाओ
घर वापसी के लिए तुम पावन खुद को बनाओ
बच्चों संभलकर रहना दृष्टि से धोखा ना खाना
आत्मभान में रहकर बाप को याद करते जाना
भाई भाई की दृष्टि का अभ्यास हर रोज बढ़ाना
एकान्त में बैठकर तुम अपने आपसे बतियाना
काम महाशत्रु से बच्चों तुम्हें रहना है खबरदार
आंखें क्रिमिनल बनाकर बिगाड़ेगा हर संस्कार
खुद को पावन बनाने की लगाओ मन में लगन
हर विकार को भस्म करो जलाकर योग अगन
पावन बनने की बात पर संसार में हंगामा होता
विकार के कारण ही अबलाओं पर जुल्म होता
बाप समझाते मैं आया बच्चों को पावन बनाने
योगबल से बच्चों की वानप्रस्थ अवस्था जमाने
स्वर्ग का वर्सा पाने बच्चे बाप के पास ही आते
वर्सा पाना है तो क्यों ना पावन खुद को बनाते
पवित्रता बनने के हुक्म की नहीं करना अवज्ञा
बापदादा के आगे करो पवित्र रहने की प्रतिज्ञा
ड्रामा की भावी समझकर निश्चिन्त होते जाओ
विनाश होने से पहले पैगाम बाप का पहुंचाओ
बाबा शब्द की याद से जब सेवा करते जाओगे
सच्चे सच्चे सेवाधारी बच्चों तब ही कहलाओगे
दिल से बाबा कहकर खुशी अविनाशी पाओगे
दिमाग से बाबा कहकर स्थाई खुशी ना पाओगे
परमात्मा रूपी शमा पर बच्चों फिदा हो जाओ
सम्पूर्ण समर्पण होकर सच्चे परवाने कहलाओ
* ॐ शांति *
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