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26, 27 Dec 2021 की मुरली से कविता (Murli Poems)

Here are Hindi poems from Baba's muril dated 26th and 27th December, 2021. "आज की मुरली से कविता" written by BK Mukesh bhai of Rajasthan, India. To access more Hindi poems, visit this page. Listen to daily Audio Murli (in Hindi & English) on our official page: Daily Gyan Murli


Gyan murli today

✱मुरली कविता 26-12-2021


मीठे बच्चों खुद को तुम, पूरा समर्थवान बनाओ व्यर्थ समाप्त हो जाए, कुछ ऐसा करके दिखाओ


अमृतवेले से दिनचर्या को, सेट नहीं कर पाते हो व्यर्थ बातों में उलझकर, अपना समय गंवाते हो


समर्थ संकल्पों में रखो, मन को सदा तुम व्यस्त मिट जाएगी व्यर्थ की, समस्या जीवन से समस्त


तुम बच्चे हो आधारमूर्त, नए विश्व को रचने वाले हीरो एक्टर तुम सब बच्चे, हीरे तुल्य जीवन वाले


बच्चों यही शुद्ध नशा, तुम्हें सम्पूर्ण समर्थ बनाता देह अभिमान मिटाकर, उड़ती कला में ले जाता


मनसा वाचा कर्मणा में, बनो बाप के आज्ञाकारी बाप की श्रीमत पर सदा, जमी रहे नजरें तुम्हारी


बाप की हर आज्ञा का सदा, पालन करते जाओ शिव साजन की सजनी, बनकर तुम दिखलाओ


अगर बाप की आज्ञा को, बच्चों तुम ठुकराओगे अपने ऊपर ही अवज्ञा का, बोझ चढ़ाते जाओगे


हाँ जी कहकर बाप की, हर आज्ञा निभाते जाओ बाप से दुआएं पाकर, तुम उड़ती कला में आओ


फिर कहता हूँ बच्चों, तुम आज्ञाकारी बन जाओ वरदान के रूप में बाप से, विल पावर तुम पाओ


अपने प्रत्येक कर्म का, फिर प्रत्यक्ष फल पाओगे वाह वाह के गीत गाकर, खुशी में नाचते जाओगे


सदा और स्वतः रूप से, आज्ञाकारी बनते जाओ बाप के समीप स्थिति, इस सहज विधि से पाओ


यही आज्ञा है बाप की, खुद को व्यर्थ से बचाओ अपने आज्ञाकारी चरित्र का, सुन्दर चित्र बनाओ

* ॐ शांति *


✱मुरली कविता 27-12-2021


केवल भारत देश में ही, सुखदाता बाप आते हम सब बच्चों को बाप, सर्व दुखों से छुड़ाते


सबसे ऊंची बड़ी लम्बी है, ड्रामा की कहानी ड्रामा रिपीट होता, ये बात सबको समझानी


सुख जिनसे हम पाते, याद उनकी ही आती दुख के समय में केवल, उसकी याद सताती


हम सबको सुख देता, केवल पिता परमात्मा इसलिए याद करती, बाप को प्रत्येक आत्मा


बाप ही बच्चों को, मुक्ति जीवनमुक्ति दिलाते सहज उन्हें मिलती, जो श्रीमत को अपनाते


सर्व हिसाब किताब, याद के बल से चुकाओ सतोप्रधान बनकर वापस, घर में लौट जाओ


स्वच्छ और साधारण, अपना जीवन बनाओ महानता प्रकट कर, आकर्षणमूर्त कहलाओ


मेरा बाबा कहकर, माया की बेहोशी मिटाओ अलबेलेपन की नींद से, पूरे जागृत हो जाओ

* ॐ शांति *

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