Hindi Poem from today's murli. Aaj ki gyan murli se ek Kavita 21 Feb 2019. This poem is daily written on day's murli by Brahma Kumar (BK) Mukesh (from Rajasthan). To read more Hindi poems written, visit Murli Poems page.
* मुरली कविता दिनांक 21.2.2019 *
आत्म अभिमान तुम्हें विश्व का मालिक बनाता
देह अभिमान तुम्हें कंगाली की तरफ ले जाता
खुद को एक्टर समझकर अपना पार्ट बजाओ
अशरीरीपन का तुम बार बार अभ्यास बढ़ाओ
भाई भाई की दृष्टि रखकर पावन बनते जाओगे
क्रिमिनल ख्यालातों से सहज ही मुक्ति पाओगे
अपने ही बेसमझ बच्चों को बाप यही समझाते
पुनर्जन्म में आकर तुम बच्चे कलाहीन हो जाते
बाप अपने बच्चों की इसी बात का वण्डर खाते
अच्छे अच्छे बच्चे भी तकदीर को लकीर लगाते
दैवी गुणों के बारे में भले ही सबको ज्ञान सुनाते
ज्ञान को ना समझकर अवगुण खुद ही अपनाते
अशरीरीपन का अभ्यास कर दृष्टि शुद्ध बनाओ
आत्मा बनकर तुम आत्मा से बात करते जाओ
अपने अन्दर ज्ञान योग की ताक़त को बढ़ाओ
दैवीगुणों की सम्पन्नता से चरित्र सुधारते जाओ
विश्व कल्याण की जिम्मेवारी उमंग से निभाओ
आलस्य और अलबेलेपन से मुक्ति पाते जाओ
उमंग और उत्साह तुम्हें सेवा में अथक बनाएगा
चेहरे और चलन से औरों का उत्साह बढ़ाएगा
समय प्रमाण शक्तियों का उपयोग करते जाओ
ज्ञानी योगी तू आत्मा का टाइटल बाप से पाओ
*ॐ शांति*
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