Hindi Poem from today's murli. Aaj ki gyan murli se ek Kavita 3 March 2019 (Maha Shivratri). This poem is daily written on day's murli by Brahma Kumar (BK) Mukesh (from Rajasthan). To read more Hindi poems written, visit Murli Poems page.
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* दिव्यता अपनाओ भारत को स्वर्ग बनाओ *
जाने किस नींद में सोया रह गया आत्मा राजा
लूट लिया रावण ने उसे खोले बिना दरवाजा
किस चोर दरवाजे से रावण अन्दर घुस आया
बिना खबर के हमारा सब कुछ उसने चुराया
दिव्यता के सुन्दर महल को खण्डहर बनाया
दीवारों दरवाजों पर विकारों का छिद्र बनाया
जन्म हो गया पापों का जहर बन चुका पानी
भ्रष्ट हुई जनता सारी भ्रष्ट हो चुके राजा रानी
राज कुंवर जैसा सुन्दर मन पूरा बेलगाम हुआ
पवित्रता को हारा खेलकर देहभान का जुआ
घर घर में बहते प्यार के झरने सारे सूख गये
बंजर हुई धरती बरसने वाले बादल रूठ गये
धन के हुए गुलाम गिरी नैतिकता दलदल में
विश्वास करने लगे सारे केवल धन के बल में
पतन की और बढ़ते सब रुक ना कोई पाता
नरक हो गया जीवन समझ नहीं क्यों आता
पहचानों हे इंसानों तुम अपनी सत्य पहचान
समझाने आया तुम्हें शिव परमात्मा भगवान
सुना रहा हम सबको वो सत्य गीता का ज्ञान
अपनाकर ये ज्ञान तुम बन जाओ देव समान
छोड़ो विकारी जीवन दिव्यता को अपनाओ
देवभूमि इस भारत को फिर से स्वर्ग बनाओ
* ॐ शांति *
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