Hindi Poem from today's murli. Aaj ki gyan murli se ek Kavita 20 Feb 2019. This poem is daily written on day's murli by Brahma Kumar (BK) Mukesh (from Rajasthan). To read more Hindi poems written, visit Murli Poems page.
* मुरली कविता दिनांक 20.2.2019 *
हार जीत के इतिहास को स्मृति में जब लाओगे
तीन चौथाई सुख और एक चौथाई दुख पाओगे
होते नहीं बराबर दोनों सुख दुख के इस खेल में
दुख तभी मिलता जब जाते देहभान की जेल में
बेहद का ड्रामा बड़ा ही वण्डरफुल नजर आता
जो पल बीत गया है वो स्वयं को हूबहू दौहराता
जूँ मिसल सम्पूर्ण ड्रामा टिक टिक करके चलता
एक टिक ना मिले दूजे से ड्रामा हर पल बदलता
बाप ने आकर हम बच्चों का आत्मभान जगाया
वापस घर चलने का प्रोग्राम बाप ने हमें बताया
माया रावण के हाथों हमने अपना राज्य गंवाया
नहीं रहा सतयुग त्रेता आया रावण राज्य पराया
जब तक थे हम सतोप्रधान दुनिया थी सुखधाम
तमोप्रधान होने के कारण दुनिया बनी दुखधाम
शान्तिधाम और सुखधाम में बच्चे चाहते जाना
बाप कहते बच्चों पहले पावन खुद को बनाना
बाप जैसा खुद को तुम प्यार का सागर बनाओ
विकर्म करके कभी बाप की निंदा नहीं कराओ
योगबल से पवित्र बनकर औरों को भी बनाओ
कांटों के जंगल को तुम फूलों का बाग बनाओ
अपनी विशेषता को प्राकृतिक संस्कार बनाओ
साधारणता के संस्कारों से मरजीवा बन जाओ
ज्ञान रत्नों से खेलने वाले रॉयल बच्चे कहलाते
अवगुण रूपी पत्थरों को वे कभी नहीं अपनाते
*ॐ शांति*
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