Aaj ki Gyan Murli se Ek Kavita - 2 April 2019. आज की मुरली से कविता. This is poem from today's baba's murli. To access old murli poems and more, visit the Daily Murli Poems page.
* मुरली कविता दिनांक 02.04.2019 *
सब तरफ से बच्चों तुम्हारी अब रग टूटती जाए
ध्यान रखो विकर्मों से कुल बदनाम ना हो जाए
सबको सुखी बनाने वाले बाप को बहुत लुभाते
सेवा करने वाले बच्चे सदैव बाप को याद आते
बाप के संग जो बच्चे बैठते खाते और बतियाते
ऐसे मीठे बच्चे ही सदा बाप की नजरों में समाते
पावन बनने की सहज विधि बताते हमें भगवान
खुद को रूह समझो तो पावन बनना है आसान
नाम रूप में अगर कहीं खुद को तुम फँसाओगे
बाप की दृष्टि में तुम कुल कलंकित कहलाओगे
एक दूजे को दुख ना देना काम कटारी चलाकर
कभी ना करना ये गलती शरण बाप की पाकर
बच्चों अपने अन्दर रूहानी हर्षितपना जगाओ
यही संस्कार लेकर बच्चों दैवी दुनिया में जाओ
माया के धोखे में आकर किसी को दुख ना देना
खुद को समर्थ बनाकर अपने बाप से वर्सा लेना
पाप आत्माओं के संग कोई लेनदेन नहीं करना
निडर होकर हर बीमारी का हिसाब चुक्तु करना
परिस्थिति ही शिक्षक बनकर पाठ पढ़ाने आती
सहनशक्ति और सामना करने की शक्ति जगाती
परिस्थितियों के आगे तुम बिल्कुल ना घबराओ
खुद को समर्थ बनाकर तुम इन पर जीत पाओ
मीठे मिजाज वाले सब पर खुशियां ही लुटाएंगे
भूले से कभी किसी को वो दुख नहीं पहुंचाएंगे
* ॐ शांति *
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