Hindi Poem from today's murli. Aaj ki gyan murli se ek Kavita 9 Feb 2019. This poem is daily written on day's murli by Brahma Kumar (BK) Mukesh (from Rajasthan). To read more Hindi poems written, visit Murli Poems page.
* मुरली कविता दिनांक 16.2.2019 *
बाप हमें जैसा पढ़ाते उसे वैसा ही धारण करना
ऊंच पद पाने के खातिर श्रीमत पर चलते रहना
ड्रामा में हर आत्मा अपना एक्यूरेट पार्ट बजाती
वो कभी ना रोएगा जिसे ये बात समझ में आती
साक्षी भाव से इस ड्रामा को बच्चों देखते रहना
इस अनादि ड्रामा पर अफसोस कभी ना करना
ईश्वरीय ज्ञान का तुम विचार सागर मंथन करना
खुद को तुम ईश्वरीय ज्ञान रत्नों से भरपूर करना
ड्रामा का राज सबको अच्छी रीति से समझाना
किसी बात में कभी तुम अफसोस नहीं जताना
बहुतकाल अभ्यास कर अवस्था एकरस बनाना
याद न आए और कोई इक बाप में दिल लगाना
सबको तुम भाई भाई की नजर से देखते जाना
याद सदा रहे अब हम सबको वापस घर जाना
सबकुछ बाप को देकर डबल लाइट बन जाना
कमल पुष्प की तरह न्यारे और प्यारे कहलाना
रूहानियत के बल से रोब को अन्दर से मिटाना
देह के भान से गलकर सच्चे पाण्डव कहलाना
*ॐ शांति*
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