Hindi Poem from today's murli. Aaj ki gyan murli se ek Kavita 9 Feb 2019. This poem is daily written on day's murli by Brahma Kumar (BK) Mukesh (from Rajasthan). To read more Hindi poems written, visit Murli Poems page.
* मुरली कविता दिनाँक 15.2.2019 *
अब तक जो कुछ पढ़ा है वो सब कुछ भुलाओ
पढ़ाई में पास होना है तो बचपन में चले जाओ
बाप से योग लगाकर जो बच्चे दिव्य बुद्धि पाते
पुरानी दुनिया देखते हुए आकर्षण में नहीं आते
तमोप्रधान शरीरों से वो कभी प्रीत नहीं लगाते
दिव्य बुद्धि वाले बच्चों से बाप भी दिल लगाते
ऐसे बच्चे शिवबाबा को निरन्तर याद कर पाते
ईश्वरीय सेवाओं में ऐसे बच्चे पहला नम्बर पाते
इस दुनिया के शरीरों को समझना कौड़ी समान
वैराग्य जगाओ यहां के प्रति कहते हमें भगवान
मिटने वाली इस दुनिया को समझना कब्रिस्तान
बच्चों के लिए बाप बनाते नई दुनिया परिस्तान
रूहानी पढ़ाई में सदा रखना तुम खुद को व्यस्त
पढ़ा हुआ सब भूलाकर प्रभु याद में रहना मस्त
पुरानी दुनिया में खुद को सदा समझना मेहमान
यहाँ के प्रति मन में ना रहे प्रीत का नाम निशान
अधिकारी बनकर हर समस्या को लांघते जाना
खेल ही खेल में समस्याओं को पार करते जाना
कड़ी समस्या को खेल समझ हल्का उसे बनाना
एक्यूरेट पार्ट बजाकर हीरो पार्टधारी कहलाना
ज्ञान के सिमरण में रहकर हर्षितपना अपनाओ
माया की हर आकर्षण से खुद को तुम बचाओ
*ॐ शांति*
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