शिव परमात्मा का कर्तव्य
अज्ञान रात्रि के ढलते ही, चुपके से मैं आता हूँ
अज्ञान निंद्रा में सोई, हर आत्मा को जगाता हूँ
सुखी जीवन जीने की, सही विधि सिखाता हूँ
सत्य ज्ञान सुनाकर, नर से नारायण बनाता हूँ
ज्ञान प्रकाश फैलाकर मैं, अंधियारा मिटाता हूँ
आत्माओं को आत्मा का, मैं ही बोध कराता हूँ
जब विकार जमा लेते, सारे जग में अपना डेरा
पांच विकारों से छुड़ाता हूँ, कर्तव्य यही है मेरा
मैं ही आकर करता हूँ, हर समस्या का उन्मूलन
राजयोग सिखाकर लाता हूँ, जीवन में सन्तुलन
याद दिलाता हूँ अपने, बच्चों की सत्य पहचान
जागृत करता हूँ सबका, भूला हुआ आत्मभान
मेरे सम्पर्क में जो आता, वो भूल जाता देहभान
एक पल में होता वो, पाँच विकारों से अनजान
मिलता हूँ अपने बच्चों से, संगमयुग मे आकर
घर ले जाता हूँ बच्चों को, पूरा पावन बनाकर
भेजता हूँ बच्चों को, सतयुगी दैवी साम्राज्य में
पद वैसा ही मिलता, जैसा लिखते हो भाग्य में
मेरा परिचय जानकर अब, कर लो यही तैयारी
परमधाम चलने के लिए, बन जाओ निर्विकारी
ज्ञान योग के बल से, सम्पूर्ण पावन बन जाओ
दैवी दुनिया सतयुग में, सर्वोत्तम देव पद पाओ ||
" ऊँ शांति "
𝐀𝐮𝐭𝐡𝐨𝐫: BK Mukesh Modi
Suggested➜