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सरलचित स्वभाव से सफलता

𝐏𝐨𝐞𝐭: BK Mukesh Modi

सर्वस्व त्याग है ब्राह्मण जीवन का मूल संस्कार
त्याग है सरलता और सहनशीलता का आधार

सरल और सहनशील ही आकर्षणमूर्त कहलाते
सरलचित्त बनने वाले सबको सरलचित्त बनाते

अपनी वाणी और कर्म में तुम सार को समाओ
जो कुछ सुनो और देखो उसमें सार ही उठाओ

हर बात में जब खुद को आलराउण्ड बनाओगे
हर कमी को अपने बुद्धि से पूरा जब मिटाओगे

सरलता के गुण का जब सेम्पल बनते जाओगे
तब औरों को भी सरल पुरुषार्थी बना पाओगे

ज्ञानी होकर रूहानी बच्चे का संस्कार जगाओ
ऐसे फॉलो फादर करके सरलचित्त बन जाओ

अपना हाँ जी का पार्ट जितना पक्का बनाओगे
अपने संस्कार उतने ही तुम सरल बना पाओगे

सरलता और सहनशीलता ही शीतलता लाती
यही विशेषता कठिन कार्य को सहज बनाती

मनसा वाचा कर्मणा में खुद को सरल बनाओ
इसी विशेषता से सबको फरिश्ता नजर आओ

सरलता के संग खुद को शक्ति स्वरूप बनाओ
सहनशीलता के संग सामने की शक्ति जगाओ

स्तुति को अपनी स्थिति का आधार न बनाओ
अपनी स्थिति से ख़ुद को स्तुति लायक बनाओ

सरलता का स्वभाव समेटने की शक्ति दिलाता
समेटने के संग संग सामना करना भी सिखाता

व्यर्थ संकल्प मिटाकर हमें सबका प्रिय बनाता
सच्चाई सफाई के संग जीवन में मधुरता लाता

स्पष्टता और श्रेष्ठता भी हमारे जीवन में आती
यही विशेषताएं बच्चों तुम्हें बाप समान बनाती ||

" ॐ शांति "

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