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सम्पूर्ण पवित्रता

𝐏𝐨𝐞𝐭: BK Mukesh Modi

पूजा होगी जग में तुम्हारी, श्रेष्ठ कर्म अपनाओ
मन की पावनता को, कर्मों का आधार बनाओ

व्यर्थ अशुद्ध विचारों से, स्वयं को मुक्त बनाओ
पवित्रता की सही परिभाषा, रोज समझते जाओ

एक जैसा सम्बन्ध सम्पर्क, सबसे तुम निभाओ
सम्पूर्ण पवित्रता के लिए, सर्व कमियां मिटाओ

शूक्ष्म अशुद्धि रह गई तो, पूज्य न बन पाओगे
खण्डित मूर्ति के समान, बच्चों तुम कहलाओगे

मनसा वाचा कर्मणा की, अपवित्रता को मिटाओ
सम्पूर्ण पवित्र बनकर, पूजनीय आत्मा कहलाओ

पवित्रता की कसौटी पर, तुम जाँच हमेशा करना
मैं हूँ सम्पूर्ण शुद्ध आत्मा, याद यही तुम करना ||

" ॐ शांति "

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