top of page
old paper bg.jpg

सहज पुरुषार्थी बनो

𝐏𝐨𝐞𝐭: BK Mukesh Modi

मुक्ति जीवन मुक्ति का, बाबा सहज मार्ग बताते
लेकिन हम बच्चे ही इसे, कितना कठिन बनाते

किन्तु परन्तु में फंसकर, मन को बड़ा उलझाते
व्यर्थ चिन्तन कर करके, आत्मिक शक्ति गंवाते

व्यर्थ संकल्प के पत्थरों से, कितनी ठोकर खाते
योग नहीं लग पाता, तो बाबा को आकर बताते

क्या करेगा बाबा जब, हमने ही बढ़ाई मुश्किल
झमेलों में उलझेंगे तो, नहीं लगेगा योग में दिल

मन को व्यर्थ की बातों में, इतना मत उलझाओ
सहज राजयोग को कभी, असहज नहीं बनाओ

अपना हर सम्बन्ध उस, प्यारे बाबा से जोड़कर
वतन की और मुख मोड़ो, बन्धन सारे तोड़कर

विघ्नों से टकराकर, कभी न खाओ उनसे हार
हाई जम्प लगाकर, करो उनको सहज ही पार

ख़ुशी मनाओ कि मिला हमें, मीठा बाबा प्यारा
उसको पाकर चमक उठा, आत्मा रूपी सितारा

बने रहना केवल तुम, कमल पुष्प आसन धारी
तुम्हारे सूने जीवन से, उदासी खत्म होगी सारी

बाप के सर का ताज बनना, श्रेष्ठ पार्ट बजाकर
हीरे जैसा चमकना, ख़ुद को गुणों से सजाकर

सदा के लिए जलकर बनना, मरजीवा परवाने
पाँचों विकार फिर न आयेंगे, कभी तुम्हें सताने

स्वपरिवर्तन की गति, ड्रामा को देखकर बढ़ाओ
सारे बोझ बाप को देकर, पूरे बेफिक्र हो जाओ ||

" ॐ शांति "

Suggested➜

golden waves in black bg.png

Get Help through the QandA on our Forum

bottom of page