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पिताश्री ब्रह्मा कर्मों से बने महान
एकांतप्रिय होकर भी बाबा थे सदा मिलनसार,
श्रेष्ठ व्यवहार से किया अपकारी पर भी उपकार।
किया जिसने निराकारीपन का अभ्यास,
यादों में जिसने बसाया था शिव को श्वासोंश्वास।
योगाग्नि से वो बनकर निकले कुंदन समान,
इसलिए तो कहलाया ब्रह्मा बाबा महान।
जीवन से मिटाया जिसने माया का नामोनिशान,
दिल की उदारता से किया जिसने बच्चों का पालन पोषण,
विकारों में डूबे हुए आत्माओं को सहज रूप से निकाला,
सबके लिए खुद को विश्व कल्याणकारी बनाया।
देह में रहकर भी ब्रह्मा बाप रहते थे सदा विदेही,
मनसा – वाचा – कर्मणा से बन गए सर्व के स्नेही।
अलौकिक जन्म देकर माँ का फर्ज़ निभाया,
सबकी छत्रछाया बन सबको दिल में बसाया,
बच्चों की हर कमी कमज़ोरी को चित्त में ना समाया,
श्रीमत देकर हर मुश्किल से पार कराया।
𝐀𝐮𝐭𝐡𝐨𝐫: Mt Abu, BrahmaKumaris
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