
पवित्रता का श्रृंगार
𝐏𝐨𝐞𝐭: BK Mukesh Modi
तन के ऊँच सिंहासन पर, मैं आत्मा विराजमान
मस्तक में चमकती हुई, मैं आत्मा मणी समान
मेरे गुण स्वधर्म की याद, ज्ञान सागर ने दिलाई
गुणों के महासागर से, मैं भी उड़कर मिलने आई
मेरे मीठे बच्चे कहकर मुझे, उसने पास बुलाया
शुभ शिक्षाओं के झूले में, बाबा ने मुझे झुलाया
चुनरी ओढ़ी पवित्रता की, श्रेष्ठ भाग्य मैंने पाया
सच्ची सुहागन आत्मा, मुझे शिवबाबा ने बनाया
दिव्य गुणों का श्रृंगार कर, उसने मुझे महकाया
पवित्रता के कमल जैसा, मेरा ये जीवन बनाया
ईश्वर के दिलतख्त का, मैं बन गया श्रेष्ठ श्रृंगार
खुद की पवित्रता पर ही, मुझको आया है प्यार
पवित्रता की विशेषता को, सच्चाई से अपनाया
पवित्रता का सत्यधर्म, मैंने नस नस में बसाया
दिव्य सुगंधित वायुमण्डल, शुद्ध वृत्ति से बनाया
मैंने स्वयं का जीवन, गुणों का गुलदान बनाया
पवित्रता की शक्ति से, रूहानी सुन्दरता को पाया
सफलता की चोटी पर मुझे, पवित्रता ने पहुंचाया ||
Suggested➜

Get Help through the QandA on our Forum