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नए साल पर कविता

𝐏𝐨𝐞𝐭: BK Mukesh Modi

नए साल में रखना, माया से अपनी पूरी सम्भाल
जरा सी सावधानी हटी, तो माया लाएगी भूचाल

अपने हर संकल्प पर, लगा देना कड़ी पहरेदारी
देहि अभिमानी बनने की, अपनाना समझदारी

परिवर्तन हो इतना, कि सबको नए नजर आओ
आलस अलबेलेपन के, संस्कार मन से मिटाओ

गई रात बीते वर्ष की, अब आया है नया सवेरा
बाबा की छत्रछाया तले, प्रतिपल करना बसेरा

नया साल है नई बात है, अब नया करो ये काम
परिवर्तन की अग्नि जलाओ, छोड़ो सब आराम

अमृत वेले से अपने, परिवर्तन की दौड़ लगाओ
योगयुक्त होकर अपनी, हर जिम्मेदारी निभाओ

संध्या काल आए तब, शुद्ध वाइब्रेशन फैलाओ
अज्ञान निद्रा में सोई हुई, आत्माओं को जगाओ

आया निंद्रा का समय, दो बाबा को अपना चार्ट
कितनी देर बजाया मैंने, श्रीमत पर अपना पार्ट

कोई भूल हुई तुमसे, तो बाबा को जरूर बताना
ना दोहराने की प्रतिज्ञा, करके वापस सो जाना ||

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