top of page
old paper bg.jpg

मानव का धर्म

𝐏𝐨𝐞𝐭: BK Mukesh Modi

जब दीपक जलकर, हर ओर प्रकाश फैलाता
पतंगा उसकी ओर, स्वतः आकर्षित हो जाता

मीठे जल का झरना, जहाँ पर भी फूट पड़ता
प्यास बुझाने उसकी ओर, पथिक टूट पड़ता

जब एक पौधे में, सुगन्धित पुष्प खिल जाता
भंवरा उसके लिए कितना, दीवाना हो जाता

ऐसे ही जब जीवन में, धर्म स्थापित हो जाता
हर सुख वैभव ऐश्वर्य, स्वयं ही दौड़कर आता

धर्म यही मानव का, वो बुद्धि को शुद्ध बनाये
अपने कर्म व्यवहार से, वो सत्यता झलकाये ||

" ॐ शांति "

Suggested➜

golden waves in black bg.png

Get Help through the QandA on our Forum

bottom of page