top of page
चक्र लगाओ
84 जन्मों में पक्का किया, चक्र लगाने का संस्कार
बच्चों संगमयुग में भी, चक्र लगाते रहना बारम्बार
कभी जाना वतन में, कभी अपनाना दुनिया साकार
देवलोक भी घूमकर आना, करके पूरे सोलह श्रंगार
बनकर मन्दिर की मूरत, नैया कर देना सबकी पार
श्रेष्ठ ब्राह्मण बनकर फिर, करते जाना अपना सुधार
पावन बनने का समय, कल्प में आता एक ही बार
स्व परिवर्तन करने में, कभी न करना सोच विचार
माया लेकर ही आएगी, क्षणिक खुशियों के उपहार
बाप की याद में रहना, मत करना उनको स्वीकार
अगर चलाते रहोगे अपना, स्वदर्शन चक्र बारम्बार
नर्क से स्वर्ग में बदलेगा, आपके लिए सारा संसार ||
" ॐ शांति "
𝐀𝐮𝐭𝐡𝐨𝐫: BK Mukesh Modi
Suggested➜
bottom of page