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बसन्त पंचमी

𝐏𝐨𝐞𝐭: BK Mukesh Modi

बहार लाई है बसन्त पंचमी, आओ झूमें गायें
संस्कारों की रास मिलाकर, ये उत्सव मनायें

बसन्त देखकर होता, सबका दिल खुशहाल
धरती होती हरियाली से, कितनी मालामाल

रंग बिरंगे पुष्पों से, कितनी खुशबू फैलाती
देखकर ये खुशहाली, उदासी गुम हो जाती

अपने हृदय आंगन को, हम हराभरा बनायें
दिव्य गुणों के पौधे, मन की धरा पर उगायें

प्यार जगायें सबके प्रति, सबको दें सम्मान
हमारे कर्मों को देखकर, नाज़ करे भगवान

हर अवगुण त्यागकर, दिव्यता को अपनायें
अपने जीवन को हम सब, देव तुल्य बनायें

दिव्य गुणों से ही, जीवन में खुशियां आएगी
यही दिव्यता सारे, संसार को स्वर्ग बनाएगी ||

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