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बाबा की अन्तिम शिक्षा
𝐏𝐨𝐞𝐭: BK Mukesh Modi
आने वाला है मेरे बच्चों, समय बड़ा ही भयानक
बदल जाएगा सब कुछ, इस दुनिया में अचानक
ये बड़े बड़े भवनों की, दिखाई देती हैं जो कतारें
बन जाएंगे मिट्टी का ढेर, ये सुन्दर सभी नज़ारे
सिर्फ लाशों का ढ़ेर ही, चारों तरफ दिखाई देगा
तड़प तड़पकर मरने वालों का, शोर सुनाई देगा
भुखमरी होगी इतनी, एक रोटी भी ना पाओगे
भूख प्यास के मारे अपना, दम तोड़ते जाओगे
तन ये तुम्हारा केवल, रोगों का घर बन जाएगा
इलाज के लिए तुम्हें, डॉक्टर भी मिल न पाएगा
जो तुम्हारे अपने हैं वे, खून के प्यासे हो जाएंगे
जीवन के सभी सहारे, छूटते हुए ही नज़र आएंगे
किसी के लिए न रहेगा, ये जीवन जीना आसान
ऐसे में याद आ भी गया, अगर तुमको भगवान
बताओ क्या तुम कर्मों का, हिसाब चुका पाओगे
क्या इस हालत में खुद को, पावन बना पाओगे
सोचो और विचारों बच्चों, ये बात बड़ी गम्भीर
देख तुम्हारा अलबेलापन, हो गया मैं भी अधीर
काम न करते एक भी, जो तुम्हें समझाता हूँ
ऐसा लगता भैंस के आगे, जैसे बीन बजाता हूँ
ओ मेरे दुलारों कब तक, मैं तुमको समझाऊंगा
सुधर भी जाओ वरना, मैं धर्मराज बन जाऊंगा
नहीं सुनूंगा बात तुम्हारी, मैं डंडे ही बरसाऊंगा
कड़ी सजायें खिलाकर, तुमको घर ले जाऊंगा
मेरी अन्तिम शिक्षा, जीवन में अवश्य अपनाओ
पावनता के पथ पर बच्चों, तीव्र कदम बढ़ाओ ||
" ॐ शांति "
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