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बाबा का सपना

𝐏𝐨𝐞𝐭: BK Mukesh Modi

अपना शिव पिता हमें, घर की राह बताने आया
आत्म अभिमानी बनो, सबको ये समझाने आया

चलो अपने घर की ओर, भूलकर अपने तन को
समझो खुद को आत्मा, बाबा में लगाओ मन को

तन को जब कोई त्यागे, तो उसके पीछे न रोना
विनाशी है तन अपना, इक दिन इसे होगा खोना

आत्म भान को अपनाकर, मोहजीत बन जाओ
सूर्यवंशी देवता बनने की, मन में लगन लगाओ

अपने घर का रस्ता पकड़ो, आत्म निश्चय होकर
पावन तुम बनते जाओ, प्रभु की याद में खोकर

विकर्म करके नहीं डुबाओ, अपने भाग्य की नैया
श्रीमत की पतवार थामकर, बनो नैया के खिवैया

शुद्ध संकल्प रचकर अपना, भाग्य भवन बनाओ
सम्पूर्ण पावनता का सपना, पूरा करके दिखलाओ ||

" ॐ शांति "

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