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अष्ट रत्न की विशेषताएँ

𝐏𝐨𝐞𝐭: BK Mukesh Modi

देह से न्यारा होकर, ज्वालामुखी योग लगाओ
सम्पूर्ण पवित्रता की, अवस्था को पूरा जमाओ

बाबा के आगे मन बुद्धि से, अर्पित होते जाओ
बाबा की बुद्धि से अपने, हर संकल्प मिलाओ

निरहंकारी होकर तुम, अपना हर पार्ट बजाओ
सर्व ईश्वरीय मर्यादाएं, निष्ठावान होकर निभाओ

बाबा के संग अपना, हर सम्बन्ध अटूट बनाओ
ईश्वरीय परिवार के प्रति, समर्पण भाव जगाओ

निस्वार्थ भाव जगाकर, तुम सेवा करते जाओ
अलौकिक व्यवहार से, मनसा सेवा झलकाओ

श्रीमत विरुद्ध खुद को, कभी ना तुम झुकाओ
जीवन का आधार सिर्फ, श्रेष्ठ कर्म को बनाओ

बाबा से मिले स्नेह का, अनुभव बढ़ाते जाओ
स्नेह के बदले सब पर, रूहानी स्नेह बरसाओ

समय श्वांस और संकल्प को, सेवा में लगाओ
सेवा प्रति आलस और, अलबेलापन मिटाओ

बाप की सभी विशेषताएँ, जीवन में अपनाओ
ईश्वरीय ख़ानदान में तुम, अष्ट रत्न कहलाओ ||

" ॐ शांति "

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