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अन्तर्यामी की आज्ञा

𝐏𝐨𝐞𝐭: BK Mukesh Modi

अन्तर्यामी कहते मुझको, मैं जानूं सबकी बात
खुद को बदलो जल्दी, वर्ना खुल जाएगी पात

क्या किया जीवन भर, मुझे सबकुछ है मालूम
होशियारी भी ना करो ऐसे, बनकर तुम मासूम

किए हैं कितने पाप तुमने, कितने पुण्य कमाए
ब्रह्मा मुख से उच्चारित कर, बच्चों तुम्हें सुनाए

मेरी आज्ञाओं को लेकर, मन में वहम ना पालो
पापों के दलदल से अब, खुद को पूरा निकालो

हारो ना खुद से तुम, जीतकर सबको दिखाओ
पावनता के शिखर पर, खुद को तुम पहुंचाओ

साथ रहूंगा सदा तुम्हारे, ना समझो तुम अकेले
जीवन में आने वाले, मिट जायेंगे सभी झमेले

मन में पक्का निश्चय रखना, होगा सब आसान
परमधाम से आकर मैं, समझाता खुद भगवान ||

" ॐ शांति "

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