top of page

अमृतवेला का अनुभव (14)
𝐏𝐨𝐞𝐭: BK Mukesh Modi
अमृतवेला के पावन क्षण में, होकर शान्त स्वरूप
बाबा से मिलन मनाऊँ, धारण कर बिन्दू स्वरूप
मधुर मिलन की स्मृति में, मन मेरा ऐसा खोया
प्रभु प्यार की लहरों में, जैसे खुद को मैंने डुबोया
धन्य हो गया बाबा की, अलौकिक मुस्कान पाकर
रखूँगा मैं अपने दिल में, बाबा का स्वरूप बसाकर
बाबा को निहारते हुए, मेरी पलक नहीं झपकती
मुझ पर प्यार लुटाते, बाबा की दृष्टि नहीं थकती
मेरे सम्मुख बाबा का, लाइट माइट स्वरूप आया
दिव्य प्रकाश से आलोकित, स्वयं को मैंने पाया
पवित्रता की प्रतिज्ञा मुझे, बाबा ने याद दिलाई
मैंने भी बाबा के आगे, फिर से प्रतिज्ञा दोहराई
बाबा का वरदानी हाथ, मैंने अपने सर पर पाया
अपना ही पवित्र स्वरूप, मैंने इमर्ज होता पाया ||
" ॐ शांति "
Suggested➜

Get Help through the QandA on our Forum
bottom of page