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अमृत वेला का अनुभव (8)

𝐏𝐨𝐞𝐭: BK Mukesh Modi

मेरे शिव बाबा की मुझको आई याद अमृत वेले
शुद्ध हुआ शीतल जल से वस्त्र पहने नये नवेले

पहुंचा बाप के पास मन बुद्धि की उड़ान भरकर
मिलते ही रख दी बाप ने मेरी हर झोली भरकर

मिलन मिलाकर बह चली मेरी अँखियाँ झर झर
भरपूर होकर मैं मुड़ चला आया तन में लौटकर

अरमान लिए मिलन के पास आया बाप के
कहा बाप ने मैं भी बैठा इन्तज़ार में आपके

आओ मीठे बच्चे तुम्हें निर्मल स्वच्छ बनाऊं
सतयुग के लायक हर दिव्य गुण से सजाऊँ

सजकर तुम भी औरों को ऐसा ही सजाना
अपना दैवी परिवार प्रति दिन बढ़ाते जाना ||

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