top of page

अमृत वेला का अनुभव (6)
𝐏𝐨𝐞𝐭: BK Mukesh Modi
खिली मन की कली खिले मन के फूल
प्यार बाप ने मेरा कर लिया जो कबूल
मेहरबानी उसकी हुई मुझ पर बेशुमार
गोद में बिठाकर उसने किया मुझे प्यार
बेहद सुकून मिला जागी है मन में उमंग
विश्वपिता का मिला सदाकाल का संग
आत्म बिंदी बनकर मैं हो गया तन से न्यारा
उड़ चला वतन की ओर जहाँ है बाबा प्यारा
उसने मुझे उड़ने को ज्ञान योग के पंख दिए
वतन में आ पहुंचा मिलने का अरमान लिए
मुस्कान बिखेरी बाबा ने तो मैं भी मुस्काया
बाबा की नजरों से मैंने सुख रूहानी पाया
सुख शांति से मैंने खुद को भरपूर बनाया
सबको सुख शांति देने तन में वापस आया ||
Suggested➜

Get Help through the QandA on our Forum
bottom of page