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शिवरात्रि का यथार्थ अर्थ और महत्व

(Shivratri article in Hindi)

shivratri video

महाशिवरात्रि का आध्यात्मिक महत्व

महा अर्थार्थ 'महान', रात्रि अर्थार्थ 'अज्ञान की रात' और जयन्ती अर्थार्थ 'जन्म दिवस'। परमपिता परमात्मा शिव तब आते हैं जब अज्ञान अंधकार की रात्रि प्रबल हो जाती है। परम-आत्मा का ही नाम है शिव, जिसका संस्कृत अर्थ है 'सदा कल्याणकारी', अर्थात वो जो सभी का कल्याण करता है। शिवरात्रि व शिवजयन्ती भारत में द्वापर युग से मनाई जाती है।  यह दिन हम ईश्वर के इस धरा पर अवतरण के समय की याद में मनाते हैं।  शिव के अलावा ओर किसी को भी हम 'परम-आत्मा' नहीं कहते। ब्रह्मा, विष्णु, शंकर को देवता कहते है। बाकि सभी है मनुष्य।  तो हम उसी निराकार परमपिता (सभी आत्माओ के रूहानी बाप) के अवतरण का यादगार दिवस मनाते है। आईये और शिवरात्रि का यथा अर्थ सन्देश पढ़े।

सुनेशिवरात्रि का सन्देश (बी.के. सूरज भाई, ज्ञान सरोवर)

शिव की रात्रि क्यों?

शिव के साथ रात शब्द इसलिए जुड़ा है क्योकि वो अज्ञान की अँधेरी रत में इस सृष्टि पर आते हैं। जब सारा संसार, मनुष्य मात्र अज्ञान रात्रि में, अर्थात माया के वश हो जाता है, जब सभी आत्माएं 5 विकारो के प्रभाव से पतित हो जाती हैं, जब पवित्रता और शान्ति का सत्य धर्म व स्वम् की आत्मिक सत्य पहचान हम भूल जाते है।  सिर्फ ऐसे समय पर, हमे जगाने, समस्त मानवता के उत्थान व सम्पूर्ण विश्व में फिर से शान्ति, पवित्रता और प्रेम का सत-धर्म स्थापित करने परमात्मा एक साधारण शरीर में प्रवेश करते हैं।

भगवत गीता में यह श्लोक है जो इसे दर्शाता है :

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भव- ति भारत ।

अभ्युत्थान- मधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्- ॥४-७॥

परित्राणाय- साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्- ।

धर्मसंस्था- पनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥४-८॥

शिव अवतरण

परमात्मा पिता का हम बच्चों से यह वायदा है कि जब-जब धर्म की अति ग्लानि होंगी, सृष्टि पर पाप व अन्याय बढ़ जायेगा है... तब वे इस धरा पर अवतरित होंगे... अब हमने जाना है की वो एक साधारण मनुष्य तन का आधार लें, हमें सत्य ज्ञान सुनाकर, सद्गति का रास्ता दिखा, दुःखों से मुक्त कर रहे हैं।  यह गायन वर्तमान समय का ही है, जबकि कलियुग के अन्त और नई सृष्टि सतयुग के संगम पर, स्वयं परमात्मा अपने वायदे अनुसार इस धरा पर अवतरित हो चुके हैं , तथा इस दुःखमय संसार (नर्क) को सुखमय संसार (स्वर्ग) में परिवर्तन करने का महान कार्य गुप्त रूप में करा रहे हैं।

यह वीडियो देखे ➙ रमात्मा शिव का अवतरण

शिवलिंग

महाशिवरात्रि के साथ जुड़े हुए आध्यात्मिक महत्व को समझने का ये सबसे अच्छा अवसर है। शिव-लिंग परमात्मा शिव के ज्योति रूप को दर्शाता है। परमात्मा का कोई मनुष्य रूप नहीं है और ना ही उसके पास कोई शारीरिक आकार है। भगवान शिव एक सूक्ष्म, पवित्र व स्वदीप्तिमान दिव्य ज्योति पुंज हैं। इस ज्योति को एक अंडाकार रूप से दर्शाया गया है। इसीलिए उन्हें ज्योर्तिलिंग के रूप में दिखाया गया है, अर्थात "ज्योति का प्रतीक"।  वो सत्य है, कल्याणकारी हैं और सबसे सुंदर आत्मा है, तभी उन्हें सत्यम-शिवम्-सुंदरम कहा जाता है। वो सत-चित-आनंद स्वरूप भी है।

महा शिवरात्रि  - Short Film

शिव अवतरण documentary  Watch⇗

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महा शिवरात्रि पर विशेष  Watch

शिव जयंती के 100 वर्ष बाद नए युग (सतयुग) की शुरुवात होती है। परमपिता परमात्मा ही स्वर्ग  की रचना करते है। सम्पूर्ण विश्व और मानवता का परिवर्तन होने में 100 वर्षो का समय लगता हैं। यह सबसे महान कार्य है। अगर हम सभी मुख्य पार्टधारी आत्माओं, जैसे अब्राहिम, बुद्ध,  क्राइस्ट आदि का पार्ट का अवलोकन करें तो ये समझ आता है की वे सभी परमात्मा के संदेश वाहक/ पैगाम देने वाले संदेशी/पैगम्बर थे।  उन सभी ने अपना अपना धर्म स्थापित किया और परमात्मा के बारे में अपना-अपना दृष्टिकोण बताया व जीवन जीने की कला सिखाई। बहुत से महापुरुषो ने इतिहास को बदला है। कईयों ने शांति और प्रेम के सन्देश से, कईयों ने अपने ज्ञान से और कईयों ने युद्ध लड़के। परन्तु कोई भी पूरी दुनिया को एक नहीं कर सका। धर्म सत्ता अभी भी है पर दुःख भी है क्योकि संसार पतन की ओर अग्रसर है (आध्यात्मिक दृष्टिकोण से)। अलग अलग समय पर अलग अलग व्यक्तियों द्वारा  कई प्रयास किये गए, परन्तु सम्पूर्ण संसार का उत्थान कोई कर नहीं सकता। यह तो केवल परमात्मा कर सकते है।

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यह कार्य किसी मनुष्य का नहीं है वरन  सम्पूर्ण विश्व जिनसे प्रार्थना करता है, यह उनका कार्य है। सभी ईश्वर प्राप्ति के अलग अलग मार्ग बताते हैं। हम सभी सहायता के लिए भगवान से प्रार्थना करते हैं, अतः यह सिद्ध होता हैं  की हम सभी ने पहले भी कई बार उनकी मदद का अनुभव किया है। हम उनसे हमेशा ख़ुशी और शांति मांगते हैं, इससे यह सिद्ध होता है कि वो इन सब का स्त्रोत व दाता है।तो अब प्रश्न यह है कि परमात्मा कब आते हैं, और हमें अपना वर्सा देकर ये सब करते है (हमारी सहायता करते हैं, हमे सुख, शांति, प्रेम व आनन्द प्रदान करते हैं? यही कारण हैं की मनुष्य सदैव उन्हें याद करता है, उनकी पूजा व प्रार्थना करता है? चलिए इस विडिओ के माध्यम से हम जानते हैं।

परमात्मा शिव है त्रिमूर्ति

परमात्मा शिव त्रिमूर्ति हैं। वे ब्रह्मा द्वारा स्वर्णिम युग रूपी नव विश्व की स्थापना कराते हैं। वे उस विश्व की पालना विष्णु द्वारा कराते हैं और शंकर द्वारा पुरानी अधर्मपूर्ण कलयुगी सृष्टि का विनाश कराते हैं। शिवरात्रि के प्रसंग में अज्ञानता को रात्रि से दर्शाया गया हैं, अर्थात जहां पर ज्ञान का प्रकाश अनुपस्थित है। इसी अज्ञान रूपी अंधियारे के कारण ही वर्तमान में काम, क्रोध, लोभ, मोह, व अहंकार का अस्तित्व सर्वव्याप्त है। इस अज्ञान रूपी रात्रि में, अधर्म अपने चरम पर है। आज अशांति, अधर्म, साधारण व गलत कर्म करना ही हमारी दिनचर्या का हिस्सा बन गया है, परन्तु यह सब कब तक चलेगा ? कौन हमे सदा के लिए सुख, शांति व प्रसन्नता प्रदान करेगा? इसीलिए यह आवश्यक हो जाता है कि वर्तमान समय में जब घोर अज्ञान की रात्रि इस धरा पर है, सभी आत्माएं परेशान और दुःखी हैं, तब स्वयं परमपिता शिव परमात्मा का आगमन इस धरा पर हो और वे यहाँ पर पुनः सुख, शांति, आनन्द, प्रेम, पवित्रता जैसे उच्चतम मूल्यों की स्थापना करें।

शिव सन्देश

आपको यह जानकर अत्यंत ख़ुशी होगी कि परमपिता परमात्मा इस धरती पर आ चुके हैं। वे एक साधारण साकारी माध्यम द्वारा पुनः नए सुख, शांति, प्रेम व आनन्द से समृद्ध संसार की स्थापना का कार्य प्रारम्भ कर चुके हैं। पवित्र महाशिवरात्रि का यही दिव्य सन्देश है।  हम परमपिता परमात्मा शिव को प्रेम से याद करके, अपने सभी पापो से मुक्त हो सकते हैं। शिवरात्रि पर्व में सारी रात जागने का यही महत्व है की वर्तमान में जब सारा संसार अज्ञान की घोर रात्रि में सुषुप्त है, तब हम हमारे कर्मो के प्रति पूर्णतः जाग्रत हो जाएं। अपने संकल्पो और कर्मो को परमात्मा के निर्देशानुसार उच्चतम स्तर पर ले जाएं, जिससे हमें चिर स्थायी सुख, शांति और समाधान की प्राप्ति हों। आइये हम सभी संकल्प करें कि हम पांच विकारो के प्रभाव से मुक्त रहेंगे और उनसे प्राप्त होने वाले कष्टों व भोगनाओं का बुरे कर्मो द्वारा आव्हान नहीं करेंगे। हमारे द्वारा निरन्तर अच्छे व पुण्य कर्म ही होंगे।

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