Q: ओमशांति दीदी, मुझे मेरी माँ कि बहुत याद आती है, जिन्होंने 2 वर्ष पहले शरीर छोड़ दिया था, कैंसर की वजह से। तो इसके लिए मुझे क्या करना होगा दीदी, कि मैं शिवबाबा को अपनी माँ बना सकूँ ?
Answer
ओमशांति।
शिवबाबा तो हमारे सर्व सम्बन्धी हैं, और एक ऐसा सम्बन्ध है, जो कभी विनाश नहीं होता। जो अविनाशी सम्बन्ध है। बाकि सब शरीरधारियों के साथ रहने की एक लिमिट होती है। जितना जिसका पार्ट होगा, लेकिन बाबा तो हमारा वो सम्बन्धी है, जो 24*7 मेरे साथ है, जो कभी भी मुझे अकेला नहीं छोड़ते, हर पल साथ निभाते हैं। और बाबा के साथ से हमें सदा सेफ्टी, ख़ुशी और सन्तुष्टता की अनुभूति होती है।
बाबा से आप माँ का सम्बन्ध भी फील कर सकते हैं। इसके लिए आप बाबा के प्यारे से बच्चे बन जाइये, मात-पिता तो वो हैं ही। और एक बच्चे के रूप से बाबा को अपनी माँ समझकर आप बाबा से रूह-रिहान कीजिये। जैसे एक बच्चा अपनी हर बात अपनी माँ से जरूर शेयर करता है, ऐसे ही आप बाबा के साथ कंबाइंड रहकर बाबा से अपनी हर बात शेयर करें।
जब आप भोजन करते हैं, तो अपनी अलौकिक-पारलौकिक माँ के साथ उनकी याद में, पहले उनको स्वीकार कराते हुए करिये, आपको ऐसा फील होगा, जैसे एक माँ अपने बच्चे को निवाला तोड़कर खिलाती है। ऐसे ही बाबा माँ बनकर मेरी पालना कर रहे हैं। अपनी बाबा के साथ की इस bonding को और गहरा करते जाइये। हर कर्म में बाबा को अपने साथ- अपने अंग-संग फील कीजिये। जिससे आपका ये अनुभव और भी गहरा होता जायेगा। बार-बार स्मृति में लाइए कि बाबा है मेरी "चमकीली माँ " जो हर पल मेरे साथ है। और वो माँ आपको जो रोज मुरली में शिक्षा देती है, पालना की अनुभूति कराती है, उसको कभी मिस मत कीजिये। जितना-जितना आपका बाबा की मुरली से प्यार और interest बढ़ता जायेगा, आपको इस सम्बन्ध कि अनुभूति ऐसे लगने लगेगा, कि बाबा साकार में आपके साथ आपकी माँ बनकर आपकी पालना कर रहे हैं।
परमात्मा एक माँ बनकर हमारी संभाल करते हैं। जब एक छोटा बच्चा किसी मुश्किल में होता है तो वह भाग कर अपनी माँ की गोद में चला जाता है। ऐसे ही हम भी जब परमात्मा माँ की गोद में चले जाते हैं तो वह हमें अपने आँचल में लेकर यह एहसास कराते हैं कि कोई बड़ी बात नहीं है। सब ठीक हो जायेगा "मैं तुम्हारे साथ हूँ"। तो आप ऐसा करके देखिये, तो आपको जरूर अनुभव होंगे।
Q: ओमशांति दीदी, कोई अगर हमसे बहुत नाराज है और हमारी बात को सुने बिना ही हमारे बारे में अपनी गलत राय बना ले। तो ऐसे को क्या vibrations भेजें ?
Answer
ओमशांति।
आप सबसे पहले अंदर से शांत हो जाएं, व्यर्थ संकल्पों को फुलस्टॉप लगाएं और उस scene को बाबा और ड्रामा पर छोड़ें। और उस आत्मा के प्रति positivity के, शुद्ध और श्रेष्ठ संकल्पों के vibrations भेजें, कल्याण की दृष्टि रखें तो इससे वो सूक्ष्म vibrations अपना असर जरूर दिखाएंगे और आपको सामने result भी मिलेगी।
Q: ओमशांति दीदी, मैं आत्मा के 7 गुणों के बारे में अच्छी तरह से जानना चाहती हूँ?
A: ओमशांति।
आत्मा के 7 अनादि गुण हैं:
1 . पवित्रता- आत्मा का पहला गुण है। पवित्रता माना मन्सा-वाचा-कर्मणा संपूर्ण शुद्धता।
2 . शांति- आत्मा का स्वधर्म है। शांति माना- श्रेष्ठ संकल्पों का प्रवाह, जिसमें स्थिरता हो। तो आत्मा natural शांति का अनुभव करती है।
3 . प्रेम- प्रेम माना आत्मा का एक परमात्मा के प्रति शुद्ध स्नेह, सर्व आत्माओं के प्रति शुभ-आत्मिक भाव हो।
4 . सुख- आत्मा की वो feeling है, जिसमें आत्मा सर्व प्राप्तियों की अनुभूति करती है।
5 . आनंद- वो स्थिति जिसमें आत्मा अतीन्द्रिय सुख और सदा एकरस ख़ुशी महसूस करती है।
6 . शक्तियाँ- आत्मा की अष्ट शक्तियाँ, जो emerge होने पर वो जीवन की हर परिस्थिति को सहजता से पार कर लेती है।
7 . ज्ञान- आत्मा और परमात्मा के अस्तित्व का सत्य जानना, रचता और रचना के आदि-मध्य-अंत का सत्य जानना- यही सत्य ज्ञान है।