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ब्रह्मचर्य का व्रत महान
Book Description
ब्रह्मचर्य का व्रत लेना अर्थात काम विकार सहित अन्य सभी विकार (क्रोध, लोभ, मोह, देह भान का अहंकार, आदि) को छोड़ना और आजीवन अपने को ईश्वरीय संतान समज सभी को भाई-भाई , व भाई-बेहेन की दृस्टि से देखना।
जीवन में ब्रह्मचर्य का सबसे बड़ा महत्त्व है। पवित्रता ही आत्मा को बल (शक्ति) देती है। पवित्र बुद्धि को ही स्थिर बुद्धि मन जाता है। परमपिता परमात्मा शिव स्वयं कहते है: "पवित्रता की सभी गुणों की जननी है"
This is "Brahmacharya" book PDF in Hindi. How to practice Celibacy in daily life... Learn deep secrets of what Purity or celibacy means in accordance with Shiv Baba's Gyan.
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Author
BK Jagdish bhai
Tags for this book
sustenance, Avyakt Murli, Jagdish bhai
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