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अमृतवेला: श्रेष्ट समय
Book Description
"अमृतवेला" - परमपिता परमात्मा से रूहानी मिलान (राजयोग) के लिए श्रेष्ट समय। यह समय रोज सुबह 3 से 5 बजे रहता है। यह समय उत्तम इसलिए समझा जाता है क्युकी इसी समय वातावरण सबसे अधिक शांत रहता है, और इसी ही समय ज्यादातर मनुष्य आत्माए अशरीरी अवस्था में हो जाती है। अर्थात अपने शरीर के भान से परे हो जाती है।
➥ इस अनमोल समय (अमृतवेला) हम जागते है और शिव बाबा (परम-आत्मा) की मीठी याद में बैठते है। आम तोर में भी यह समय पवित्र माना जाता है - जिसे "ब्रह्मा-महूरत" कहा गया है।.
➥ यह किताब में आपको इस श्रेष्ठ समय को सफल करने की बहुत अच्छी विधियाँ मिलेंगी, जो अव्यक्त मुरलियों से प्रेरित है। जरूर पढ़े, और print भी कर सकते है।
➥ This eBook is "recommended" by us to all BK brothers and sisters. Do read this book to get inspiration for Purusharth in this great time of 'Amritvela' every morning, which is the most elevated time for Yog (meditation)... Please SHARE this page/link (of book) to BK brothers/sisters in your connection.
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Author
पांडव भवन, प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय, माउंट अबू
Tags for this book
spirituality, Purusharth, Hindi, science, sustenance
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